देहरादून: देवभूमि उत्तराखंड को योगभूमि बनाने की राह आसान नहीं लगती। यहां के युवा योग की पढ़ाई को लेकर उत्साह नहीं दिखा रहे हैं। उल्टा, कई महाविद्यालयों में योग की सीटें खाली रह गईं। उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय से संबद्ध 45 कॉलेजों में योग विषय में प्रवेश पिछले सत्र से 30 से 50 प्रतिशत तक कम हुए हैं। योग शिक्षकों को उम्मीद के अनुरूप रोजगार नहीं मिलना इसका प्रमुख कारण माना जा रहा है।
योगगुरु रामदेव ने जिस हरिद्वार से योग प्रतिष्ठा अभियान शुरू किया था, उस जिले में योग के दो कॉलेज ऐसे भी हैं, जहां सत्र 2021-22 में एक भी छात्र ने एडमिशन नहीं लिया है। उत्तराखंड संस्कृत विवि से संबद्ध उत्तराखंड के कॉलेजों में बीते दो वर्ष में एमए योग के कोर्स में 30 प्रतिशत और पीजी डिप्लोमा योग में 50 प्रतिशत तक कम एडमिशन हुए। योग में एमए के लिए 2000, योग में पीजी डिप्लोमा की करीब 1500 सीटें हैं।
इधर, संस्कृत विवि में योग विभाग अध्यक्ष डॉ. कामाख्या ने बताया कि सत्र 2020-21 और 2021-22 में एमए योग में करीब 30 प्रतिशत और पीजी डिप्लोमा-योग में 50 प्रतिशत सीटें खाली हैं। समूचे उत्तराखंड में योग शिक्षकों को 25 नियमित और 58 आउटसोर्स नौकरियां मिल सकी हैं।
कांग्रेस सरकार के समय 2016 में आउटसोर्स के आधार पर करीब 900 नियुक्तियां करने की बात कही गई थी, लेकिन भर्ती नहीं हुई। इसके बाद भाजपा की सरकार ने 31 दिसंबर 2021 को कैबिनेट बैठक में व्यायाम प्रशिक्षकों के 214 पद सृजित कर नियुक्तियां करने का निर्णय किया।रहीं। डॉ. कामाख्या ने बताया कि कोविड महामारी और योग में रोजगार के अवसर कम होना भी इसकी एक वजह है।
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