हरिद्वार: माता-पिता का दर्जा भगवान से पहले है। लेकिन आज के दौर में कई बच्चे माता-पिता को बोझ समझकर वृद्धा आश्रमों में छोड़ आते हैं। ऐसे बच्चों के लिए गाजियाबाद का विकास गहलोत नजीर है। कांवड़ मेले में श्रवण कुमार बनकर विकास अपने माता-पिता को गंगा स्नान करवाकर हरिद्वार से रवाना हो गया।
विकास के कंधे पर बहंगिया (पालकी) में उसके माता-पिता को बैठा देखकर हर कोई हैरान है। विकास ने माता-पिता की आंखों पर पट्टी बांधी है, ताकि वह बेटे के कंधों का दर्द का अहसास उसके चेहरे पर न देख सकें। विकास के माता-पिता चलने में असमर्थ हैं, जिसके चलते विकास ने दो साल पहले उन्हें गंगा स्नान का प्रण लिया था।
गंगा स्नान के बाद कांवड़ जल लेकर बहंगिया (पालकी) में माता-पिता को बैठाकर चल पड़ा। उसके कंधों पर पालकी बांस की जगह लोहे के मजबूत चादर की बनी है। एक तरफ मां तो दूसरी तरफ पिता को बैठाया है। पिता के साथ 20 लीटर गंगाजल का कैन भी है।
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