देहरादून: विधानसभा चुनाव संपन्न हो गए हैं और चुनावों में कांग्रेस की करारी हार हुई है।इसी बीच एक बार फिर शुक्रवार को नमाज की छुट्टी का जिन्न बाहर आ गया है। शनिवार को पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट डाली है। हरीश ने कहा पराजय के बाद पराजित सेनापति को हमेशा उलाहना और आलोचनाएं सुननी पड़ती हैं, मैं भी एक स्वघोषित ही सही, सेनापति न सही लेकिन एक योद्धा तो हूं ही ना। ढेर सारे लोग जिनमें भाजपा के सोशल मीडिया टीम और कुछ मेरे अति-अति प्रिय दोस्तों की टीम सम्मिलित है, मुझ पर दनादन प्रहार कर रहे हैं। मैं उनका दिल से आभारी हूं कि, एक पराजित योद्धा को वो इस लायक तो समझ रहे हैं कि अब भी मुझी पर चोट पर चोट की जा रही है और चोट पहुंचाने के लिए भाजपा द्वारा गढ़े हुए झूठों का सहारा लिया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने कभी भी शुक्रवार की नमाज़ की छुट्टी का कोई आदेश नहीं निकाला और राज्य में भी ऐसा कोई आदेश कभी नहीं निकला है और देश में भी कहीं इस प्रकार का आदेश नहीं निकला है। भाजपा ने एक झूठ को फैला दिया। दूसरा झूठ मुस्लिम यूनिवर्सिटी खोलने को लेकर है। मुझसे कभी किसी मुसलमान भाई ने उत्तराखंड तो छोड़िए देश भर के किसी मुसलमान भाई ने मुस्लिम यूनिवर्सिटी या मुस्लिम कॉलेज खोलने की मांग नहीं की है। मगर यह भी झूठा प्रचार किया गया और लोगों के मन में जहर घोला गया है। झूठ हमेशा कायरों का सहारा होता है। इस प्रकार के झूठ गढ़ने वाले कायर हैं।
हरीश रावत यहीं नहीं रुके उन्होंने कहा कि हमारे एक बहुत प्यारे शुभचिंतक ने कुछ कहा है और सलाह दी है। उनकी सलाह में एक अव्यक्त दर्द का मुझे आभास होता है। मैं उनकी सलाह के साथ लिपटी हुई आत्मीयता को दूर, देहरादून में भी महसूस कर रहा हूं। हरीश रावत ने कहा कि बचपन से ही मां और पिता जी के बताए हुए भगवान को समझने लग गया था, क्योंकि वो मुझसे हाथ जुड़वाते थे और जब मैं कुछ और अधिक समझने लायक हुआ तो हर दिन मैं अपने घर के मंदिर में घंटी बजाकर अपने टूटे-फूटे शब्दों में और अपनी धीरे-धीरे विकसित होती समझ के अनुरूप कुछ मांगता रहा हूं और आज भी मेरा कोई भी कार्य बिना भगवत पूजा के प्रारंभ नहीं होता है।
भगवान शिव, भगवान केदार के रूप में मेरे अराध्य देव हैं और आपदा से ध्वस्त केदार पुरी में मुख्यमंत्री के रूप में जो कुछ मुझसे संभव था, मैं उनके आशीर्वाद से ही कर पाया। गोलज्यू देवता में मेरी आस्था का अनुमान आप मेरे सर पर रोज लगाए जाने वाला गोलज्यू देवता की भभूत से लगा सकते हैं, यह भभूत मेरी शक्ति है। मैं तो कत्यूरियों की आराध्य देवी मां जियारानी का भी प्रातः स्मरण करता हूं और जो कुछ मुझसे हो पड़ा, मां जिया की गुफा के विकास के लिए वह भी मेरे कार्यकाल में हुआ।
उन्होंने कहा कि में इन बातों का उल्लेख केवल देव और देव स्थानों के लिए अपनी आस्था को स्पष्ट करने के लिए कर रहा हूं। जब मैं धर्म को समझने लायक हुआ स्वामी विवेकानंद जी ने हिंदू धर्म और सनातन धर्म के विषय में जो कुछ सात समुद्र पार कहा और जो दुनिया को समझाया, वही समझ आज भी मुझसे लिपटी हुई है और मैं उसी रूप में हिंदू धर्म को मानता हूं और समझता हूं और उस पर आस्था रखता हूं। मुझे अपने हिंदू होने पर गर्व है और मुझे उतना ही गर्व इस बात पर भी है कि मैं सभी धर्मों और सभी धर्म स्थलों और आस्था स्थलों के प्रति आदर व सम्मान का भाव रखता हूं।
मैं जिस मां गंगा का स्मरण करता हूं, वह मां भी बिना भेदभाव के सारी मानवता का कल्याण करती हैं और मैं मां गंगा जी से अपने जीवन के आगे की राह के विषय में प्रार्थना करने जाऊंगा और मार्गदर्शन की अपेक्षा लेकर के जाऊंगा, हां मैं एक कृतज्ञ बाप भी हूं जिसकी बेटी को हरिद्वार के लोगों ने मां गंगा के आशीर्वाद से विजई बनाया है और जो लोग मेरी बेटी के जीत के साथ खड़े हुए हैं, उनके प्रति धन्यवाद ज्ञापित करना मेरा कर्तव्य है। इसीलिए मैं मां गंगा को भी प्रणाम कर रहा हूं और सामाजिक न्याय के सबसे बड़े देवता भगवान शिव जिनसे बड़ा और कोई है ही नहीं, मैं उस भगवान शिव को भी दक्षेश्वर के रूप में जल चढ़ाने जाऊंगा और बाबा अंबेडकर जी जो आधुनिक मानवता के पथ प्रदर्शक हैं जिन्होंने हमको सामाजिक न्याय का अटूट मंत्र दिया है उनको भी मैं माल्यार्पण कर अपने हृदय की कृतज्ञता व्यक्त करुंगा। साबरी साहब के प्रति भी कृतज्ञता व्यक्त करूंगा।
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