देहरादून: अपने छोटे से कार्यकाल में धुंआधार पारी खेलने वाले पुष्कर सिंह धामी ने टीम की नैय्या तो पार लगा दी, लेकिन खुद मझदार में फंस गए। भाजपा को वह पूर्ण बहुमत दिलाने में कामयाब तो हो गए, लेकिन अपनी सीट नहीं बचा पाए, ऐसे में प्रदेश में नए मुख्यमंत्री के लिए नए चेहरे की तलाश शुरू हो गई है।
बताया जा रहा है कि जातीय समीकरण की वजह से भी सीएम धामी को हार का मुंह देखना पड़ा। उत्तराखंड के तराई में किसान आंदोलन का व्यापक असर देखने को मिला। रुद्रपुर, काशीपुर, खटीमा आदि क्षेत्रों से भारी संख्या में आंदोलन कर रहे किसानों ने दिल्ली में केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया था। इसपर पर भी किसान सरकार से काफी खफा नजर आ रहे थे।
दूसरी ओर, जातीय समीकराणों को नहीं साध पाना भी सीएम धामी की हार की मुख्य वजह हो सकती है। खटीमा में पर्वतीय मतदाता के अलावा थारू मतदाताओं की भारी संख्या है। थारू मतदाता 2012 और 2017 के विधानसभा चुनाव से अपने ही वर्ग के नेता रमेश राणा के पक्ष में जाता रहा है, लेकिन 2022 के चुनाव में यह वोट कांग्रेस के पक्ष में चला गया और आखिरकार सीएम धामी की हार हुई।
ग्रेड पे मामला हार की वजह तो नहीं
सूत्रों की मानें तो पुलिसकर्मियों के ग्रेड पे का मामला भी धामी के हार का कारण माना जा रहा है। पुलिसकर्मियों को 4600 ग्रेड पे मामला काफी समय से सुर्खियों में है। मुख्यमंत्री रहते हुए धामी ने भरे मंच से ग्रेड पे देने की घोषणा की थी, लेकिन इसका शासनादेश जारी नहीं किया। इसके बदले पुलिसकर्मियों को दो लाख का प्रोत्साहन चेक थमा दिया, जिससे पुलिसकर्मियों में काफी नाराजगी देखी जा रही थी।
More Stories
ऋषिकेश में शंभु हुए ‘पास’, मास्टर हो गए फेल, दीपक भी बुझ गया
निकाय चुनाव: इस लिंक से घर बैठे देख सकते हैं चुनाव परिणाम, रुझान आने शुरू
बगावत करने वाले बागियों को भाजपा ने दिखाया बाहर का रास्ता, 40 निष्कासित