देहरादून। ऋषिकेश से 36 किलोमीटर दूर नीलकंठ महादेव मंदिर लाखों श्रद्धालुओं के आस्था का केंद्र है। इसी मंदिर के पास हैं फूल-प्रसाद की 70 दुकानें। इन्हीं में से एक दुकान है शशि पयाल की। साधारण सी दिखने वाली इस दुकान में पूजा-पाठ व फूल प्रसाद के साथ ही थोड़ी-बहुत खाने-पीने की सामग्री भी मिल जाती है, लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि इस दुकान का संचालन करने वाली शशि पयाल उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की बड़ी बहन हैं। उत्तर प्रदेश में चल रहे चुनावों के बीच शशि प्रतिदिन भाई की विजय के लिए नीलकंठ महादेव से प्रार्थना करना नहीं भूलतीं। शशि कहती हैं कि ‘भाई के मस्तक पर विजय का तिलक देखना ही मेरा सपना है।’सादगी का भाव योगी आदित्यनाथ को परिवार से विरासत में मिला है। सात भाई-बहनों में शशि सबसे बड़ी और योगी पांचवें नंबर के हैं। योगी पौड़ी जिले में यमकेश्वर ब्लाक में पंचूर गांव के रहने वाले हैं। 31 वर्ष पहले शशि का विवाह कोठार गांव के पूरण सिंह पयाल से हुआ। पूरण ग्रेजुएट तो शशि इंटर तक पढ़ी लिखी हैं। पति-पत्नी हर दिन कोठार गांव से ढाई किलोमीटर दूर नीलकंठ महादेव मंदिर पैदल ही आते हैं। प्रतिदिन सुबह सात बजे दुकान खोलते हैं और शाम चार बजे तक गांव लौट जाते हैं। शशि के तीन बच्चे हैं, दो पुत्र और एक पुत्री। एक पुत्र का विवाह हो चुका है।बचपन के दिनों को याद करते हुए शशि कहती हैं कि छुटपन से ही योगी का स्वभाव अन्य भाई-बहनों से अलग था। वह गंभीर प्रवृति के थे। वह बताती हैं कि हर वर्ष वह रक्षाबंधन पर उन्हें राखी अवश्य भेजती हैं। यह अलग बात है वर्ष 1994 में योगी आदित्यनाथ के संन्यास लेने के बाद कभी उनकी कलाई पर राखी बांधने का अवसर नहीं मिला। शशि बताती हैं कि योगी के संन्यास लेने के बाद भी उन्हें उम्मीद थी कि एक दिन भाई लौट आएगा, लेकिन दिन बीतने के साथ यह स्पष्ट हो गया कि अब यह संभव नहीं है।
योगी को पसंद था बहन के हाथ का बना खाना
शशि बताती हैं कि योगी आदित्यनाथ को उनके हाथ का बना भोजन बहुत पसंद था। हालांकि, अब उनके साथ भोजन किए भी वर्षों बीत गए हैं। शशि के अनुसार आखिरी बार योगी से उनकी भेंट 2017 विधानसभा चुनाव के दौरान हुई थी। तब वह विधानसभा चुनाव में प्रचार के लिए ऋषिकेश, यमकेश्वर और रायवाला आए थे। इसी दौरान वह अपने गांव पंचूर गए। तब परिवार के सभी लोग गांव में एकत्र हुए और योगी के साथ समय बिताया।
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