देहरादून: झारखंड और छत्तीसगढ़ राज्य के साथ आस्तित्व में आए उत्तराखंड में सरकार के कदम पिछले दो दशकों के लिए भारी भरकम बोझ तले लड़खड़ा रहे हैं। यदि कर्ज को औसतन प्रतिव्यक्ति के हिसाब से आंके तो उत्तराखंड पर झारखंड व छत्तीसगढ़ से दोगुने से अधिक कर्ज चढ़ा है।
रिजर्व बैंक आफ इंडिया के आंकड़ों के अनुसार 2021 तक उत्तराखंड पर 75,351 कराेड़ रुपये के ऋण का संशोधित अनुमान है। यहां औसतन प्रति व्यक्ति 65 हजार कर्ज के नीचे दबा हुआ है।
इस बोझ को उतारने और उसका ब्याज चुकाने के लिए प्रदेश सरकार को अपनी क्षमताओं से बढ़कर प्रदर्शन करना होगा। जानकारों केमुताबिक अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए अब सरकार के पास अपने आर्थिक संसाधनों में बढ़ाेतरी करने के अलावा कोई चारा नहीं रह गया है।
फिलहाल सरकार के पास अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार के दरवाजे पर फरियाद लगाने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं है। धर्मशाला हिमाचल प्रदेश में पिछले दिनों हुई मुख्य सचिवों की कांफ्रेंस में राज्यों की वित्तीय स्थिति की जो तस्वीर बयान की गई है, उसमें उत्तराखंड के लिए प्रतिबद्ध खर्च सबसे बड़ी चुनौती है।
तीन राज्यों पर औसतन प्रतिव्यक्ति ऋण का ब्यौरा
राज्य कुल ऋण कमिडेट खर्च आबादी प्रतिव्यक्ति कर्जउत्तराखंड 75351 78 1.15 65,522
छत्तीसगढ़ 100,150 42 2.98 33,607
झारखंड 105570 41 3.98 27069
स्रोत : आरबीआइ(कर्ज की कुल देनदारी 2021 तक के संशोधित अनुमान)
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