देहरादून: कोविड महामारी के बाद राष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक और कारोबारी गतिविधियों में तेजी से बेरोजगारी दर बेशक कम हुई हो, लेकिन उत्तराखंड में देश में सबसे ज्यादा 15.5 फीसद बेरोजगारी दर रही। केंद्र सरकार के राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण अक्तूबर 2021 से दिसंबर 2021 में यह खुलासा हुआ है।
शुक्रवार को एनएसओ की ओर से जारी त्रैमासिक बुलेटिन में दर्ज आंकड़ों का अध्ययन से पता चलता है कि कोरोना महामारी के बाद उत्तराखंड में जनवरी 2021 से लेकर सितंबर 2021 तक शहरी बेरोजगारी में बढ़ोतरी हुई। अक्तूूबर से दिसंबर 2020 में राज्य की शहरी बेरोजगारी की दर 11.6 फीसद रही।जनवरी से मार्च 2021 में यह बढ़कर 14.3 फीसद हो गई।
अप्रैल से जून 2021 में यह बढ़कर 17.0 फीसद और जुलाई से सितंबर के दौरान बेरोजगारी दर बढ़कर 17.4 फीसद हो गई। यह कोरोना संक्रमण के चरम का कालखंड था। अक्तूबर से दिसंबर 2021 में शहरी बेरोजगारी दर घटकर 15.5 फीसद रह गई।देश के दूसरे राज्यों की तुलना में उत्तराखंड की शहरी बेरोजगारी दर सबसे अधिक रही। रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तराखंड के बाद सबसे अधिक शहरी बेरोजगारी के मामले में केरल(15.2 फीसद) दूसरे और जम्मू कश्मीर (14.5 फीसद) तीसरे स्थान पर था।
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