नैनीताल : उच्च न्यायालय ने डीएसए मैदान में बिना टेंडर आमंत्रित किए झूले लगाने का काम कराने के मामले में कड़ा रुख अपनाया है। प्रकरण में नगर पालिका परिषद नैनीताल के अधिशासी अधिकारी (ईओ) आलोक उनियाल को निलंबित कर दिया। साथ ही नगर पालिका अध्यक्ष सचिन नेगी की वित्तीय शक्तियों को सीज कर दिया गया है। इसके साथ ही ईओ को आदेश दिया है कि वह प्रभावित ठेकेदार को व्यक्तिगत रूप से 50 हजार रुपये का हर्जाना देंगे। प्रकरण में कोर्ट ने मुख्य सचिव उत्तराखंड को आदेश दिया कि वह एक माह के भीतर कार्य की जांच कर रिपोर्ट उपलब्ध कराएं। प्रकरण की जांच सेवानिवृत्त न्यायधीश से कराने के आदेश दिए दिए हैं।
नैनीताल डीएसए मैदान (फ्लैट्स) में झूलों का टेंडर नगरपालिका नैनीताल ने एक अक्टूबर से पांच नवंबर तक के लिए देहरादून के रमेश सजवाण को करीब छह लाख रुपये में दिया था। इसके लिए ठेकेदार किशन पाल भारद्वाज ने भी आवेदन किया था। इसे नगर पालिका ने निरस्त कर दिया। पालिका ने यह प्रक्रिया मानकों के विपरीत जाकर ही पूरी कर दी थी। इस निर्णय को किशन पाल भारद्वाज ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। हाई कोर्ट ने प्रकरण का स्वतः संज्ञान लेकर भी सुनवाई शुरू की।
10 अक्टूबर को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए नगर पालिका नैनीताल को उसी दिन झूले हटाने का आदेश दिया था। साथ ही इसकी रिपोर्ट पेश करने को कहा था, लेकिन जब झूलों को नहीं हटाया गया तो कोर्ट ने पालिकाध्यक्ष सचिन नेगी व अधिशासी अधिकारी को तलब कर लिया। उन्हें नियम विरुद्ध झूले संचालित करने पर कड़ी फटकार लगाई और कोर्ट की अवमानना का नोटिस जारी किया था। मंगलवार को कोर्ट ने इस मामले में अहम आदेश पारित कर दिया। कोर्ट ने मामले में सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति इरशाद हुसैन की कमेटी से जांच कराने को आदेशित किया है।
More Stories
बेंगलुरु की तर्ज पर उत्तराखंड में यातायात की समस्याओं से निपटेगा एआइ, ट्रैफिक वाल्यूम का करेगा आंकलन
BIG NEWS: सेंट जोजेफ की लीज जमीन वापस लेगी सरकार, पैमाइश को स्कूल पहुंची टीम!!
चट्टान के नीचे से आ रही थी आवाज, 09 घंटे चला SDRF का रेस्क्यू और फिर हुआ चमत्कार