नैनीताल: हाई कोर्ट को नैनीताल से अन्यत्र शिफ्ट करने से संबंधित हाई कोर्ट के आदेश के क्रियान्वयन पर सुप्रीम कोर्ट ने स्टे लगा दी है। साथ ही पक्षकारों को नोटिस जारी किया है। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस पीएस नरसिम्हां व जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ में उत्तराखंड हाई कोर्ट बार एसोसिएशन की एसएलपी पर सुनवाई हुई। हाई कोर्ट बार एसोसिएशन की ओर से मामले में सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता पीवीएस सुरेश बहस ने की। दिल्ली पहुंचे हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष दिनेश रावत, महासचिव सौरभ अधिकारी व अधिवक्ता कार्तिकेय हरिगुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट से हाईकोर्ट शिफ्टिंग मामले में पारित आदेश पर स्थगनादेश की पुष्टि की है।
दरअसल आठ मई को हाई कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश ऋतु बाहरी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने हाई कोर्ट को नैनीताल से अन्यत्र शिफ्ट करने के मामले में अहम आदेश पारित किया था। जिसमें हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को शिफ्टिंग मामले में अधिवक्ताओं व वादकारियों से राय लेने के लिए पोर्टल बनाने के निर्देश दिए थे। कोर्ट ने कहा था कि यदि शिफ्टिंग का समर्थन करते हैं तो वे “हां” और विरोध करते हैं तो “नहीं” आनलाइन प्राथमिकता बता सकते हैं।
नैनीताल से स्थानांतरित करने की मुख्य वजह वनों की रक्षा के लिए सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश को बताया गया था। यह भी कहा था कि नए हाई कोर्ट के लिए हल्द्वानी के गोलापार में 26 हेक्टेयर का भूखंड प्रस्तावित किया गया है। यह भूमि सघन वनों से युक्त है, जिसका 75 प्रतिशत क्षेत्र वृक्षों से घिरा हुआ है। ऐसे में नई इमारत के निर्माण के लिए किसी भी पेड़ को काटने से बचने की इच्छा व्यक्त की गई।
दूसरी ओर बार एसोसिएशन देहरादून के सचिव राजबीर सिंह बिष्ट ने बताया ने माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने उन्हें पक्षकार बनाया है। जल्द ही वह अपना पक्ष सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष रखेंगे।
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