November 21, 2024

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पुष्पेंद्र दुग्गल हत्याकांड: एक दोषी को आजीवन कारावास, विवेचक पर कार्रवाई की सिफारिश

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देहरादून: शहर कोतवाली क्षेत्र में 18 साल पहले हुए बुजुर्ग पुष्पेंद्र सिंह दुग्गल की हत्या के एक दोषी को अदालत ने कठोर आजीवन कारावास व दूसरे दोषी को सात वर्ष कारावास की सजा सुनाई है। वहीं इस मामले में एक आरोपी को दोषमुक्त जबकि एक आरोपित की पहले ही मृत्यु हो चुकी है। द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश महेश चंद्र कौशिवा की अदालत ने सोमवार को केस पर फैसला सुनाया है। कोर्ट ने डीजीपी व एसएसपी को विवेचनाधिकारी के खिलाफ कार्रवाई करने की सिफारिश की है।

राज्य की ओर से सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता जया ठाकुर के अनुसार मंजीत चावला ने डालनवाला कोतवाली में तहरीर दी कि उनके मामा पुष्पेंद्र सिंह दुग्गल निवासी म्यूनिसिपल रोड में अकेले रहते थे। बताया कि उनकी कर्जन रोड पर संपत्ति थी। 13 फरवरी 2006 को उन्हें फोन पर सूचना मिली कि मामा पुष्पेंद्र सिंह का कहीं पता नहीं चल रहा है। मंजीत चावला उनके घर पहुंचे तो पता चला कि दुग्गल कार सहित लापता हैं। शिकायतकर्ता ने अपने रिश्तेदारों से पता किया, लेकिन उनका कहीं भी पता नहीं लग पाया। इस आधार पर डालनवाला कोतवाली में गुमशुदगी दर्ज की गई थी।

उन्होंने बताया कि 25 अप्रैल 2007 को जालंधर कैंट (पंजाब) में हुए रेल हादसे में रेलवे लाइन के किनारे एक शव पड़ा था। नईम राहत ने मृतक की पहचान पुष्पेंद्र सिंह के रूप में की। आरोपित ने पुष्पेंद्र सिंह का फर्जी मृत्यु प्रमाणपत्र बनाकर देहरादून व दिल्ली में उनकी संपत्ति की वसीयत बना ली। पुलिस ने शक के आधार पर नईम को हिरासत में लेकर उससे पूछताछ की तो उसने बताया कि कुबुबद्दीन उर्फ सन्नू निवासी मुस्लिम कालोनी रीठा मंडी, महमूद अली निवासी कचहरी रोड कोतवाली, नईम राहत निवासी गांधी रोड शहर कोतवाली और तेजपाल सिंह निवासी बंजारावाला, बुग्गावाला हरिद्वार के साथ बुजुर्ग पुष्पेंद्र सिंह दुग्गल की हत्या की। अदालत में करीब 18 वर्ष तक चले केस में कोर्ट ने तमाम सबूतों व गवाहों के आधार पर महमूद को हत्या का दोषी पाते हुए कठोर आजीवन कारावास व 28 हजार रुपये जुर्माना जबकि नईम को हत्या का षडयंत्र का दोषी पाते हुए सात वर्ष कारावास और 18 हजार जुर्माने की सजा सुनाई है। वहीं तीसरे आरोपित तेजपाल को सभी धाराओं में दोषमुक्त कर दिया।

महमूद अली व कुतुबद्दीन ने हत्या कर शव जलाया
जांच में पता चला कि आरोपित महमूद व कुतुबद्दीन ने संपत्ति के लालच में पुष्पेंद्र दुग्गल की हत्या की और शव को जला दिया। यही नहीं आरोपित महमूद ने दुग्गल की कार बेच दी और कोर्ट में जो फर्जी वसीयत जमा की उसमें कुतुबद्दीन के हस्ताक्षर भी थे। पुलिस जांच में महमूद के घर से भारी मात्रा में दस्तावेज पाए गए। वहीं नईम ने चंडीगढ़ से फर्जी मृत्यु प्रमाण तैयार करवाया और जमीन के फर्जी दस्तावेज तैयार करवाए। जबकि तेजपाल सिंह का कोई बड़ा रोल सामने नहीं आया।

पुताई के दौरान लगा था संपत्ति के बारे में पता

शासकीय अधिवक्ता जया ठाकुर ने बताया कि चारों आरोपितों ने पुष्पेंद्र दुग्गल के घर पर पुताई का काम किया था। बातों-बातों में आरोपितों ने बुजुर्ग से सारी जानकारी हासिल कर ली। घटना के समय पुष्पेंद्र दुग्गल के दोनों बेटे विदेश में रह रहे थे, ऐसे में वह अकेले ही घर पर रहते थे। चारों आरोपितों ने सुनियाेजित ढंग से गैरेज में बुजुर्ग की हत्या कर दी और इसके बाद शव को ड्रम में डालकर चंद्रबनी फायरिंग रेंज क्लेमेनटाउन ले गए, जहां उन्होंने शव को जला दिया। इस मामले में एक आरोपित कतुबद्दीन की चार सितंबर 2022 को मृत्यु हो चुकी है।

विवेचक ने जैविक बेटी का नहीं लिया डीएनए सैम्पल
इस पूरे मामले में विवेचना कर रहे विवेचनाधिकारियों की लापरवाही सामने आई है। अदालत ने डीजीपी व एसएसपी देहरादून को निर्णय की एक प्रति जिला मजिस्ट्रेट के माध्यम से प्रेसित कर विवेचक की लापरवाही का संज्ञान लेते हुए नियमानुसार कार्रवाई करने को कहा है। बता दें कि इस केस में विवेचनाधिकारियों की भूमिका लापरवाहीपूर्वक रही है। पुलिस ने मृतक की जैविक बेटी का डीएनए सैंपल ही नहीं लिया, जिसके चलते अंत तक मृतक के शव का पता नहीं लग पाया। समय पर विवेचनाधिकारी ने साक्ष्य कोर्ट में पेश नहीं किए, जिसके कारण केस सालों तक चलता रहा। इसके अलावा पंजाब में जो शव पुष्पेंद्र दुग्गल का बताया गया, उसके बारे कोई जांच नहीं की। उस शव के बारे में आज तक पता नहीं लग पाया कि वह किसका था।

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