देहरादून: उत्तराखंड में चुनाव परिणाम सामने आने से किलेबंदी शुरू हो गई है। भाजपा और कांग्रेस अपने-अपने मोर्चों पर किलेबंदी में जुट गई है। भाजपा ने सरकार बनाने के अभियान पर जोड़-तोड़ की राजनीति के रणनीतिकार राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय को देहरादून भेजा तो जवाब में कांग्रेस आलाकमान ने पार्टी के कई क्षत्रपों को मोर्चे पर उतार दिया।
देहरादून में दस्तक के साथ विजयवर्गीय पार्टी के सभी क्षत्रपों के साथ गुप्त मंत्रणाओं में मशगूल हैं। इस बीच सियासी हलकों में यह चर्चा है कि दो निर्दलीय प्रत्याशियों ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और पूर्व केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ.रमेश पोखरियाल निशंक से मुलाकात की है। निशंक उत्तराखंड के दिग्गज नेता हैं, जोकि राजनीति के माहिर भी माने जाते हैं। ऐसे में उनका रोल अहम रह सकता है।
निर्दलीय प्रत्याशियों से भाजपा नेताओं की मुलाकात को जोड़ तोड़ की राजनीति से जोड़कर देखा जा रहा है। हालांकि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने का दावा कर रहे हैं। उनका कहना है कि भाजपा एग्जिट पोल के अनुमानों से भी अधिक सीटें जीतेगी। लेकिन सियासी जानकारों का मानना है कि पार्टी ऐसा कोई मौका नहीं छोड़ना चाहती, जो सरकार बनाने की राह में रोडा बने। इसलिए वह हर विकल्प पर गंभीरता से काम कर रही है।
उधर, 2016 में सेंधमारी का जख्म झेल चुकी कांग्रेस भी फूंक-फूंक कर कदम बढ़ा रही है। सेंधमारी के रणनीतकार कैलाश विजयवर्गीय के दून पहुंचने के बाद से ही कांग्रेस के खेमे में खलबली है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत विजयवर्गीय की सक्रियता को लेकर शंका जाहिर कर चुके हैं। इसी का नतीजा है कि कांग्रेस आलाकमान ने भी अपने क्षत्रपों को उत्तराखंड कूच करने का फरमान जारी कर दिया है। उन्हें विशेष पर्यवेक्षक के तौर पर उत्तराखंड भेजा गया है। मंगलवार को पार्टी के कई केंद्रीय दिग्गजों ने दून में डेरा जमा लिया।
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