देहरादून: भू-धंसाव की जद में आए जोशीमठ में खतरा तेजी से बढ़ता जा रहा है। असुरक्षित भवनों की संख्या 678 पहुंच गई है। किसी भी समय होटल धराशायी हो सकते हैं। खतरे को देखते हुए जोशीमठ में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, फायर ब्रिगेड, पीएसी व नागरिक पुलिस तैनात कर दी गई है। खतरे की जद में आए दो होटलों को जल्द ही गिराया जा सकता है। अंदेशा है कि यह होटल यदि गिरे तो काफी नुकसान कर सकते हैं, ऐसे में प्रशासन स्वयं ही इन होटलों को गिराएगा।
जोशीमठ शहर और आसपास के गांवों में भू-धंसाव की वजह से बिजली आपूर्ति भी खतरे में आ गई है। एक ओर जहां यूपीसीएल के खंभे और लाइनें कभी भी धराशायी हो सकती हैं, वहीं पिटकुल का 66 केवी सब स्टेशन भी शिफ्ट करने की तैयारी शुरू हो गई है। वहीं भू-धंसाव से एशिया के सबसे बड़े जोशीमठ-औली रोपवे भी खतरे की जद में है। स्थिति यह है कि रोपवे का एक टावर प्रशासन की ओर से असुरक्षित घोषित किए क्षेत्र में है जिसके चलते रोपवे को लेकर भी आशंकाएं तेज हो गई हैं।
जोशीमठ शहर में असुरक्षित भवनों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। सोमवार को 75 भवन और चिह्नित किए गए। अब तक कुल 678 भवन चिह्नित किए जा चुके हैं। स्थानीय प्रशासन और विशेषज्ञों की टीम ने इन भवनों को रहने के लिहाज से असुरक्षित घोषित किया है। अब प्रशासन के सामने जल्द इन घरों को खाली कराने की है, ताकि लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा सके।
सोमवार को 13 परिवारों को सुरक्षित ठिकानों पर आसरा दिया गया। शहर में स्थित 12,398 घरों में से अब तक 678 घरों में दरारें दस्तक दे चुकी हैं। उधर, प्रशासन की टीम उन घरों को चिह्नित करने के काम में लगी है, जो रहने के लिहाज से पूरी तरह से असुरक्षित हैं। शासन ने अगले दो दिनों में सर्वे कर इस काम को पूरा करने के निर्देश दिए हैं।
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