September 16, 2024

GarhNews

Leading News Portal of Garhwal Uttarakhand

धामी सरकार की पहली कैबिनेट, कई प्रस्तावों पर लगी मुहर

Spread the love

देहरादून: पहली कैबिनेट बैठक में पार्टी संगठन ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सरकार का दृष्टि पत्र सौंपा। प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक और प्रदेश महामंत्री अजेय कुमार ने सीएम को दृष्टि पत्र सौंपा। इस दौरान प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने कहा कि जनता ने भाजपा और भाजपा के दृष्टि पत्र पर भरोसा किया है और सरकार उस पर पूरी तरह से खरी उतरेगी।उन्होंने कहा कि युवा सीएम पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व मे मंत्रिमंडल के सदस्य राज्य को तरक्की की दिशा में ले जाने के लिए अधिक ऊर्जा से कार्य करेंगे। कहा कि हमने जो संकल्प प्रदेश की देवतुल्य जनता के समक्ष रखे थे, उन पर जनता ने सहमति देते हुए अपना आशीर्वाद दिया। राज्य सरकार जनता की अपेक्षाओं और आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए दृढ़ संकल्पबद्ध है। इस अवसर पर प्रदेश महामंत्री श्री सुरेश भट्ट व सभी कैबिनेट मंत्री उपस्थित रहे। 

सबसे पहले उत्तराखंड में लागू होगा समान नागरिक संहिता कानून
उत्तराखंड सरकार की पहली कैबिनेट बैठक में निर्णय लिया गया कि राज्य में समान नागरिक संहिता के क्रियान्वयन के लिए विशेषज्ञों की समिति बनाई जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड हमारे भारत का एक ऐसा जीवंत राज्य है जिसकी संस्कृति और विरासत सदियों से भारतीय सभ्यता के मूल में समाहित रही है। भारतीय जनमानस के लिए उत्तराखंड एक देवभूमि है, जो कि हमारे वेदों-पुराणों, ऋषियों-मनीषियों के ज्ञान और आध्यात्म का केंद्र रही है। भारत के कोने कोने से लोग बड़ी आस्था और भक्ति के साथ उत्तराखंड आते है। इसलिए उत्तराखंड की सांस्कृतिक – आध्यात्मिक विरासत की रक्षा अहम है। 130 करोड़ लोगों की आस्था का केंद्र माँ गंगा का उद्गम स्थल भी उत्तराखंड ही है। भारत का मुकुट हिमालय, और उसकी कोख में पनपती प्रकृति उत्तराखंड की धरोहर हैं। इसलिए उत्तराखंड में पर्यावरण की रक्षा भी अहम है।

क्या है समान नागरिक संहिता?

समान नागरिक संहिता का मतलब धर्म और वर्ग आदि से ऊपर उठकर पूरे देश में एक समान कानून लागू करने से है। कहने का अर्थ है कि देश में रहने वाले किसी भी धर्म, जाति और समुदाय के व्यक्ति के लिए एक समान कानून होना। दूसरे शब्दों में कहें तो यूनिफॉर्म सिविल कोड एक धर्मनिरपेक्ष कानून की तरह है, जो सभी धर्म के लोगों के लिए समान है और किसी भी धर्म या जाति के पर्सलन लॉ से ऊपर है।

क्यों है इसकी जरूरत?

फिलहाल देश में मुस्लिम, ईसाई और पारसी समुदाय के अपने कानून हैं, तो हिंदू सिविल लॉ के अलग. अलग-अलग धर्मों के अलग कानून से न्यायपालिका पर बोझ पड़ता है. समान नागरिक संहिता लागू होने से इस परेशानी से निजात मिलेगी और अदालतों में वर्षों से लंबित पड़े मामलों के फैसले जल्द होंगे. शादी, तलाक, गोद लेना और जायदाद के बंटवारे में सबके लिए एक जैसा कानून होगा फिर चाहे वो किसी भी धर्म का क्यों न हो.  

क्या होंगे फायदे? 

समान संहिता लागू होने के बाद विवाह, विरासत और उत्तराधिकार सहित विभिन्न मुद्दों से संबंधित जटिल कानून सरल बन जाएंगे, जिसके परिणामस्वरूप समान नागरिक कानून सभी नागरिकों पर लागू होंगे, चाहे वे किसी भी धर्म में विश्वास रखते हों।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि यदि समान नागरिक संहिता को लागू किया जाता है, तो वर्तमान में मौजूद सभी व्यक्तिगत कानून समाप्त हो जाएंगे, जिससे उन कानूनों में मौजूद लैंगिक पक्षपात की समस्या से भी निपटा जा सकेगा। इसके अलावा, इस कानून से संवेदनशील वर्ग को संरक्षण मिलेगा और धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत को बल मिलेगा।

About Author