देहरादून: देवभूमि उत्तराखंड की धरती वीर प्रसूता है। इस पावन माटी में जन्म लेते हैं जांबाज सिपाही। वीर गबर सिंह, दरबान सिंह और चंद्र सिंह गढ़वाली की शौर्य गाथाओं को सुनकर बड़े हुए पहाड़ के युवाओं में फौजी बनने की चाहत रची-बसी है। यहां के निवासियों के लिए सेना सिर्फ रोजगार का अवसर नहीं, बल्कि एक परंपरा भी है। आइएमए पासिंग आउट परेड में फिर यह बात नुमाया हुई।
रिखणीखाल (पौड़ी) निवासी लेफ्टिनेंट राकेश रावत परिवार के पहले सैन्य अधिकारी बने हैं। पहाड़ के बेहद सामान्य परिवार से ताल्लुक रखने वाले राकेश रावत के पिता विनोद सिंह परचून की दुकान चलाते हैं और मां सुजी देवी गृहिणी हैं। राकेश ने प्रारंभिक शिक्षा राजकीय इंटर कालेज रिखणीखाल से प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने मुक्त विवि से स्नातक किया। अपनी काबिलियत के बूते वह सीडीएस में सफल हुए और अब फौज में अफसर बन गए हैं। उनके छोटे भाई रोशन रावत भी सेना में हैं।
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