April 19, 2025

GarhNews

Leading News Portal of Garhwal Uttarakhand

पत्रकार बनना चाहती थीं आइएएस राधा रतूड़ी, अब बनीं उत्तराखंड की पहली महिला मुख्य सचिव

Spread the love

देहरादून:  सहज और सरल आईएएस अधिकारी राधा रतूड़ी ने उत्तराखंड की ब्यूरोक्रेसी में नया इतिहास कायम कर लिया है। उन्हें उत्तराखंड की पहली महिला मुख्य सचिव बनाया गया है। उनकी ताजपोशी पर सरकार ने मुहर लगा दी है। वर्तमान मुख्य सचिव डॉ एसएस संधु का एक्सटेंशन 31 जनवरी 2024 को समाप्त हो रहा है। ऐसे में सभी की निगाहें वर्ष 1988 बैच की आईएएस अधिकारी राधा रतूड़ी और सरकार के निर्णय पर टिकी थीं। सरकार ने भी उम्मीद के ही अनुरूप राधा रतूड़ी को मुख्य सचिव बनाए जाने का निर्णय ले लिया। हमेशा चर्चाओं से दूर और अपने काम में व्यस्त रहने वाली वरिष्ठ अधिकारी/अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी के भारतीय प्रशासनिक सेवा के सफर के बारे में भी जानना जरूरी है। उनके प्रशासनिक जीवन पर गहराई से प्रकाश डालने से पहले बता दें कि राधा रतूड़ी पत्रकार बनना चाहती थीं। शुरुआत में उन्होंने पत्रकारिता जगत में बतौर एक रिपोर्टर के रूप में अल्प समय के लिए काम भी किया। इसके बाद जब उन्होंने इंडियन ब्यूरोक्रेसी में जाने का मन बनाया तो भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) में लंबी पारी शुरू करने से पहले भारतीय सूचना सेवा (आईआईएस) और भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) में भी पदार्पण किया।

कॉलेज की पत्रिका की बनीं संपादक, फिर रिपोर्टिंग शुरू की

वरिष्ठ आईएएस अधिकारी राधा रतूड़ी को स्कूलिंग के दौरान से ही लिखने-पढ़ने का शौक है। जब वह सोफिया कॉलेज मुंबई में इतिहास की छात्रा थीं, तब वह कालेज की पत्रिका के एडिटोरियल बोर्ड की सदस्य थीं। इसके बाद उनकी क्षमता को देखते हुए पत्रिका का संपादक भी बनाया गया। स्नातक के बाद उन्होंने पत्रकार बनने का निर्णय लिया और मास कम्युनिकेशन की पढाई की। वर्ष 1985 में मास कम्युनिकेशन करने के बाद उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस में ट्रेनिंग ली और फिर रिपोर्टर के रूप में इण्डिया टुडे मैगजीन में काम शुरू कर दिया।

पिता ने दी सिविल सेवा की सलाह, 22 साल में दी यूपीएससी की परीक्षा

राधा रतूड़ी के पिता सिविल सेवक थे, लिहाजा उन्होंने सिविल सेवा में जाने की सलाह दी। महज 22 साल की परीक्षा में उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा दी और वह वर्ष 1986 बैच की भारतीय सूचना सेवा की अधिकारी बनीं। उनकी ज्वाइनिंग दिल्ली में हुई, लेकिन मुंबई की अपेक्षा उन्हें यहां का माहौल रास नहीं आया। उन्होंने फिर सिविल सेवा की परीक्षा दी और अबकी बार उनका चयन आईपीएस के वर्ष 1987 के बैच के लिए हो गया। उन्होंने हैदराबाद में पुलिस ट्रेनिंग भी ज्वाइन की। यहीं उनकी मुलाकात वर्ष 1987 बैच के आईपीएस अधिकारी अनिल रतूड़ी से भी हुई और दोनों ने विवाह कर लिया।तीसरी परीक्षा में आईएएस में चयन, यह रहा आईपीएस छोड़ने का कारण

राधा रतूड़ी ने तीसरी बार सिविल सेवा की परीक्षा दी और अबकी बार उनका चयन भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के वर्ष 1988 बैच के लिए हो गया। वरिष्ठ आईएएस अधिकारी राधा रतूड़ी का कहना है कि एक महिला के लिए पुलिस की सेवा अधिक टफ मानी जाती है। फिर जब पति-पत्नी दोनों सामान सिविल सेवा में हों पारिवारिक संतुलन साधना चुनौती भी होता है। इसलिए तीसरी बार सिविल की परीक्षा देने के बाद आईएएस के लिए चयन हो गया। पुलिस में ट्रांसफर भी अधिक होते हैं। कई बार पति-पत्नी को एक ही जगह पोस्टिंग नहीं मिल पाती है। उत्तर प्रदेश में भी ऐसा हुआ कि हम दोनों की पोस्टिंग तीन बार अलग-अलग जिले में हुई। राधा रतूड़ी बताती हैं कि उनके पति अनिल रतूड़ी का कैडर उत्तर प्रदेश था, जबकि वह मध्य प्रदेश कैडर की टॉपर थीं और उन्हें होम स्टेट मध्य प्रदेश का कैडर मिला। शुरुआत में एक साल दोनों ने अपने-अपने कैडर के प्रदेश में ही सेवा दी।

कैडर बदलने के बाद उत्तर प्रदेश में काम, फिर उत्तराखंड बनी कार्य स्थली

करीब एक साल के अंतराल के बाद राधा रतूड़ी का कैडर मध्य प्रदेश से उत्तर प्रदेश में तब्दील हो पाया। उन्हें उत्तर प्रदेश में बरेली में पोस्टिंग मिली। इसके बाद जब 09 नवंबर 2000 को उत्तर प्रदेश से अलग होकर पृथक राज्य उत्तरखंड बना तो दोनों ने अपना कैडर बदलने की अर्जी लगा दी। राधा रतूड़ी के पति अनिल रतूड़ी उत्तरखंड मूल के हैं, लिहाजा उनका कैडर आसानी से उत्तराखंड में परिवर्तित हो गया। राधा रतूड़ी के पति अनिल रतूड़ी उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक पद से वर्ष 2020 में रिटायर हो चुके हैं, जबकि राधा रतूड़ी की प्रशासनिक सेवा का सफर जारी है।

About Author