देहरादून: इंडोकेप और इंडोकेप-एसआर नाम की जिन दवाओं का प्रयोग पेन किलर, मसल्स पेन, सूजन कम करने आदि में किया जाता है, उसकी बड़े पैमाने पर नकली दवाएं और देशभर में बेची जानी पाई गई। दून पुलिस ने इस फर्जीवाड़े न सिर्फ भड़ाफोड़ करने में सफलता प्राप्त की, बल्कि नकली दवा बनाने के आरोप में 40 वर्षीय सचिन शर्मा निवासी अशोका पुरम, निकट गोदावरी होटल दिल्ली रोड (रुड़की ) व 32 वर्षीय मुजफ्फरनगर उत्तर प्रदेश निवासी विकास को गिरफ्तार किया। दोनों आरोपी वर्तमान में देहरादून के सहस्रधारा रोड स्थित अमेजन कॉलोनी में रह रहे थे। दोनों के कब्जे से पुलिस ने नकली दवाओं के 29 लाख से अधिक कैप्सूल, लाखों रुपये की मशीनें पकड़ी हैं। इसके अलावा उनका लाखों रुपये का ट्रांजेक्शन फ्रीज कर दिया गया है। आरोपितों ने नकली दवाओं के कारोब से न सिर्फ रेंज रोवर ली, बल्कि कई फ्लैट और कई बीघा जमीन भी खरीदी।
रविवार को पत्रकारों से रूबरू वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय सिंह के मुताबिक JAGSONPAL PHARMACEUTICALS LIMITED के डिप्टी मैनेजर विक्रम रावत निवासी अशोक विहार गुड़गांव ने शिकायती पात्र पत्र दिया था। जिसमें उन्होंने कहा कि सचिन शर्मा प्रोपराईटर एसएस मेडिकोज अमन विहार देहरादून कुछ व्यक्तियों के साथ मिलकर उनकी कंपनी JAGSONPAL PHARMACEUTICALS LIMITED के नाम से नकली / मिलावटी दवाइयां तैयार कर बेची जा रही हैं। उनका यह उत्तराखंड समेत देश के विभिन्न राज्यों मेंफैल चुका है। प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक देहरादून के आदेश पर रायपुर थाने में मुकदमा दर्ज किया गया। इसके साथ ही एसएसपी ने पुलिस क्षेत्राधिकारी डोईवाला के नेतृत्व में रायपुर पुलिस व एसओजी की संयुक्त पुलिस टीम गठित करते हुए कार्रवाई के निर्देश दिए थे।
पुलिस टीम नामजद अभियुक्त सचिन शर्मा के संबंध में जानकारी जुटाई गई पता चला कि उसकी अमन विहार देहरादून में एक मेडिकल शॉप है। यहां भी नकली दवाओं के बेचे जाने के प्रमाण मिले। टीम ने जाल बिछाते हुए सचिन शर्मा व उसके पार्टनर विकास कुमार को पाल्टेक्निक रोड धर्मकांटा रायपुर के पास से रेंज रोवर कार के साथ गिरफ्तार कर लिया। जिनके कब्जे से वाहन में रखी इंडोकेप व इंडोकेप-एसआर दवाईयों के 24 डिब्बे ( 7200 कैप्सूल नकली दवाइयां बरामद की गई) आरोपितों से पूछताछ करने पर पता चला कि मकदूमपुर गांव में उनकी नकली दवा बनाने की फैक्ट्री है और गोदावरी रुड़की स्थित फ्लैट में उनके द्वारा नकली दवाइयां व उससे संबंधित सामाग्री रखी हुई है, जिसे वह मूल दवाई की कंपनी के नाम से विभिन्न राज्यों में सप्लाई करते हैं। पुलिस टीम द्वारा अभियुक्तगण की निशानदेही पर मकदूमपुर गांव निकट लकनौता चौराहा झबरेड़ा हरिद्वार स्थित फैक्ट्री, सचिन शर्मा के गोदावरी रुड़की स्थित फ्लैट से भारी मात्रा में नकली दवाईयों, नकली दवाईयां बनाने के उपकरण, नकली दवाईयां बनाने के लिए कच्चा माल व अन्य सामाग्री की बरामद की गई। इसके साथ ही मकदूमपुर हरिद्वार में स्थित फैक्ट्री को सील किया गया। दोनों आरोपितों से नकली दवाईयों की पूर्व में की गयी सप्लाई के संबंध में भी साक्ष्य संकलन की कार्रवाई की जा रही है।
दवा कंपनी में काम करते थे सचिन और विकास, कोरोनोकाल में नौकरी छूटने पर पकड़ी उलटी राह
पूछताछ में आरोपित सचिन शर्मा ने बताया कि विकास को वह पहले से जानता था। सचिन स्टेफफोर्ड लैबोरेटरी भगवानपुर में सुपरवाईजर का काम करता था। जहां विभिन दवाएं बनाई जाती हैं। वहीं, विकास जगसन पाल फार्मास्युटिकल कंपनी में हरिद्वार में मार्केटिंग का काम करता था। दोनों की कोरोनाकाल में नौकरी छूट गई तो प्लान बनाया गया कि जगसन पाल व वर्लटर बूसनल कंपनी की नकली दवाइयां बनाकर करोड़ों रुपये कमा सकते हैं। क्योंकि, दोनों को दवा बनाने व मार्केटिंग की जानकारी है। जिसके बाद दिसंबर 2022 में दोनों ने एसएस मेडिकोज नाम से पार्टनरशिप फार्म खोली। जिसके लाभ को दोनों आपस में बराबर बांट लेते। उन्होंने बताया कि कंपनी की दवाइयां वह अपनी फैक्ट्री मकदूमपुर गांव निकट लखनौता चौराहा झबरेड़ा में बनाते हैं। फैक्ट्री में दवाइयां बनाने के लिए मशीने रखी हैं और वहां कच्चा माल भी रखा है। दवा बनाने के लिए कच्चा माल मुंबई की कंपनी रोलेक्स फार्मा से खरीदते थे, जिसका भुगतान वह ऑनलाईन करते। जहां से कच्चा माल विजयलक्ष्मी ट्रांसपोर्ट से रुड़की आता है, जिसे रुड़की में उतारकर अपनी फैक्ट्री में ले जाते।
फैक्ट्री में असली कंपनी के कंपोजिशन के आधार पर मात्रा कम कर बनाते थे दवाइयां
आरोपितों ने बताया कि वह फैक्ट्री में असली फार्मास्यूटिकल कंपनी की दवाइयों को उनके कंपोजिशन के आधार पर कुछ कम मात्रा में भरकर नकली दवाइयां तैयार करते। फिर उसे अपनी एसएस मेडिकोज फार्म के नाम से सेल करते। एसएस मेडिकोज की फर्म बनाने के लिये सचिन ने अपने नाम पर ड्रग लाइसेंस लिया है, जिसका ऑफिस देहरादून में सहस्रधारा रोड पर खोला है। जहां से नकली दवाइयों को दिल्ली, लखनऊ एवं कोलकाता आदि शहरो में बेचते। मार्केटिंग में होने के कारण विकास के पहले से मेडिकल डीलरों से संपर्क था। वह हफ्ते में दवाई के 10 पेटी करीब 200 डिब्बे तैयार कर लेते थे।
नकली दवा बेचकर करोड़ों की संपत्ति जोड़ी
नकली दवा बेचकर सचिन और विकास ने करोड़ों रुपये का लाभ और कई संपत्तियां अर्जित की । रेंज रोवर कार इन्हीं पैसो से ली थी। इसके अतिरिक्त विकास ने रुड़की में 35 लाख रुपये का प्लॉट व 12 लाख रुपये की किया-सॉनेट कार खरीदी। इसके अतिरिक्त उषा इन्क्लेव में 50 लाख रुपये का मकान व मकदूमपुर में फैक्ट्री के लिए 04 बीघा जमीन भी ली है। जिस पर एक और फैक्ट्री स्थापित करने का विचार था। पुलिस ने कार कब्जे में ले ली है, जबकि संपत्ति को भी जब्त किया जाएगा।
बरामदगी का विवरण
1- INDOCAP एसआर कैप्सूल की 20 पेटी में रखे कुल 2500 डिब्बे कुल 7,50,000 कैप्सूल
2- नीले प्लास्टिक के 07 डिब्बों में रखे कुल 9,01,000 कैप्सूल
3- काली रंग की 11 प्लास्टिक की पन्नी में रखे 12,82,600 कैप्सूल
4- विभिन्न बैंको की 24 चौक बुक S-INDOCAP एसआर खाली कैप्सूल बाक्स के रैपर 3000
6- खाली कैप्सूल 1,00,000/- 7- दवाई बनाने हेतु कच्चा माल 50 किलो
8- सीलिंग हेतु कंपनी के टेप रोल 107 9- कम्पनी का प्रिन्टेड फायल कवर बर्ड 15
10- कंपनी के गत्ते की खाली पेटी 50
11- नकली दवाईयों की टैक्स इनवाइस बिल 07
12- HP लैपटाप 01
13- मोबाइल फोन 07
14- रेंज रोवर गाडी संO TO923CH7967801 (कीमत लगभग एक करोड रूपये)
15- KIA गाडी सं0 UK17R-264701 16- नकली दवाईयां बनाने के उपकरण 17- नकली दवाईयां बनाने की मशीनें
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