देहरादून: रजिस्ट्री फर्जीवाड़े के मुख्य आरोपित में से एक केपी (कंवर पाल) सिंह की जेल में मौत हो गई। वह सहारनपुर जेल में बंद था और आठ सितंबर को दून पुलिस उसे बी-वारंट पर दून भी लाई थी। यहां उससे रजिस्ट्री फर्जीवाड़े पर तमाम साक्ष्य पुलिस ने बरामद किए गए थे। केपी सिंह की मौत पर सहारनपुर जेल के अधिकारी अभी कुछ भी अधिक बोलने से बच रहे हैं।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक केपी सिंह की मौत की पुष्टि जेल प्रशासन ने गुरुवार सुबह की। उसकी मौत हार्टअटैक से होनी बताई जा रही है। हालांकि, मामला अभी भी संदिग्ध बना हुआ है। केपी सिंह की मौत रजिस्ट्री फर्जीवाड़े की जांच के लिए बड़ा झटका साबित हो सकती है। क्योंकि, अब तक रजिस्ट्री फर्जीवाड़े के जितने भी प्रकरण सामने आए हैं, उसमें केपी सिंह और अधिवक्ता कमल विरमानी का ही अधिकतर नाम सामने आया है। खासकर केपी सिंह को रजिस्ट्री फर्जीवाड़े के तमाम किरदारों और आरोपित अधिवक्ता विरमानी के बीच की अहम कड़ी बताया जाता रहा है। 08 सितंबर को जब दून पुलिस केपी सिंह को बी-वारंट पर सहारनपुर जेल से दून लेकर आई थी, तब सीजेएम लक्ष्मण सिंह की कोर्ट ने उसकी चार दिन की पुलिस रिमांड मंजूर की थी। इस दौरान पुलिस ने उससे रजिस्ट्री फर्जीवाड़े को लेकर तमाम साक्ष्य एकत्रित किए थे।
खासकर देहरादून की जमीनों के रिकार्ड जब तक सहारनपुर में रहे (31 दिसंबर 2022 से पहले) उस अवधि में उनके साथ छेड़छाड़ किस तरह की गई या कितने अभिलेखों में यह फर्जीवाड़ा किया गया है या और कितने लोग इस खेल में शामिल हो सकते हैं, यह सब उगलवाने के लिए या साबित करने के लिए केपी सिंह अहम कड़ी था। केपी सिंह की मौत कई तरह के सवालों को भी जन्म दे रही है।
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