November 21, 2024

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बलिदान हुए कोटद्वार के गौतम व चमोली निवासी बीरेंद्र सिंह।

घर में चल रही थी शहनाई की तैयारी, शहादत की खबर सुन पसरा मातम, 11 मार्च को होनी थी कोटद्वार के गौतम की शादी

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कोटद्वार: आखिर नियती को कौन टाल सकता है। इससे अधिक दुख की बात क्या हो सकती है कि जिस घर में शहनाई की तैयारी चल रही थी, अचानक परिवार पर पहाड़ टूटा और मातम का माहौल बन गया। जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले में सेना के वाहन पर हुए हमले में उत्तराखंड के दो लाल कोटद्वार (पौड़ी) निवासी गौतम कुमार और चमोली निवासी बीरेंद्र सिंह देश के लिए बलिदान हो गए। जवानों के बलिदान का समाचार मिलते ही क्षेत्र में मातम पसर गया। बलिदानियों की पार्थिव देह शनिवार को उनके निवास स्थान लाई जाएगी।

कोटद्वार के शिवपुर निवासी गौतम कुमार (29) वर्ष 2014 में गौचर में हुई सेना भर्ती रैली में प्रतिभाग कर सेना का हिस्सा बने थे। 89 आर्म्ड रेजीमेंट में राइफलमैन के पद पर कार्यरत गौतम की तैनाती इन दिनों जम्मू-कश्मीर में पुंछ जिले के राजौरी सेक्टर में थी। गुरुवार दोपहर पुंछ के बफलियाज क्षेत्र में आतंकवादियों ने सेना के दो वाहनों पर घात लगाकर हमला कर दिया था। इसमें गौतम भी बलिदान हो गए। गुरुवार रात सेना ने स्वजन को इसकी सूचना दी, जिसके बाद घर में मातम छा गया।

गौतम के बड़े भाई राहुल ने बताया कि गौतम 30 नवंबर को छुट्टी लेकर घर आए थे और 16 दिसंबर को उन्होंने ड्यूटी पर वापसी की थी। अगले वर्ष 11 मार्च को उनका विवाह तय था। इन दिनों घर में शादी की तैयारियां चल रही थीं। लेकिन, इससे पूर्व ही नियति के क्रूर हाथों ने उन्हें छीन लिया। उनके पिता विजय कुमार का दो वर्ष पहले निधन हो चुका है, वह शिक्षा विभाग में कार्यरत थे। बड़े भाई राहुल के अलावा घर में गौतम की माता और दो बहनें हैं। सभी भाई-बहनों की शादी हो चुकी है।

चमोली जिले के राइफलमैन बीरेंद्र सिंह की हैं दो छोटी बेटियां
चमोली जिले में नारायणबगड़ विकासखंड के सैनिक बाहुल्य गांव बमियाला निवासी बीरेंद्र सिंह (33) वर्ष 2010 में सेना की 15 गढ़वाल राइफल में बतौर राइफलमैन भर्ती हुए थे। वर्तमान में वह भी पुंछ में तैनात थे। बमियाला के प्रधान कमलकांत ने बताया कि गुरुवार को सेना ने बीरेंद्र के बलिदान होने की सूचना दी, इसके बाद से बलिदानी की पत्नी, माता-पिता व अन्य स्वजन का रो-रोकर बुरा हाल है। बीरेंद्र के बड़े भाई धीरेंद्र सिंह आइटीबीपी में तैनात हैं। धीरेंद्र ने बताया कि बीरेंद्र ने छह जनवरी को छुट्टी पर घर आने की बात कही थी। बलिदानी अपने पीछे पत्नी शशि देवी और दो बेटियों इशिका (5) व आयशा (3) को छोड़ गए हैं।

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