July 1, 2025

GarhNews

Leading News Portal of Garhwal Uttarakhand

नेगी दा ने उठाई सशक्त भू-कानून लागू करने बात, कहा सरकार कानून लागू करने में खास रुचि नहीं दिखा रही

देहरादून: उत्तराखंड का आस्तित्व बचाने के लिए चल रही भू-कानून की लड़ाई में लोक गायक व हाल ही में प्रतिष्ठित संगीत नाटक अकादमी सम्मान से नवाजे गए उत्तराखंड के प्रसिद्ध लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी कूद पड़े हैं। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में सख्ती से भू-कानून लागू होना चाहिए। पता नहीं सरकार क्यों इस कानून को लागू करने में रुचि ले रही है। कानून लागू होने से जमीन, संस्कृति, परंपरा बची रहेगी और भूमाफिया दूर रह सकेंगे।

प्रेस क्लब देहरादून में आयोजित संवाद कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि लोकभाषाओं को सम्मान सिर्फ सरकारी प्रयासों से नहीं मिलने वाला। इसके लिए हमें व्यक्ति एवं समाज के स्तर से पहल करनी होगी। हमें लोकभाषाओं के प्रति हीनता का भाव त्यागना होगा। तभी हम नई पीढ़ी को अपनी संस्कृति एवं परंपराओं से जोड़ पाएंगे। इसकी शुरुआत हमें भाषण, गोष्ठी व सम्मेलनों से नहीं, अपने घर से करनी होगी। हमें यह बात कभी नहीं भूलनी चाहिए कि इस राज्य का जन्म ही लोक की स्वतंत्र पहचान कायम करने की मांग को लेकर हुआ।

नेगीदा ने कहा कि राज्य गठन के बाद इन इक्कीस वर्षों में गढ़वाली-कुमाऊंनी व अन्य लोक भाषाओं के उत्थान के लिए सरकारी स्तर से कोई जमीनी प्रयास नहीं हुए। आज हमारे पास लोकभाषा अकादमी तक नहीं है। उन्होंने इस बात पर खुशी जताई कि आज की युवा पीढ़ी बड़ी संख्या में गढ़वाली-कुमाऊंनी लिख और गा रहे हैं। देश ही नहीं पूरी दुनिया में उत्तराखंडी लोकगायकों को बडे़ मानोयोग से सुना जा रहा है। उन्होंने इसमें सोशल मीडिया के योगदान को भी महत्वपूर्ण माना।

नेगीदा ने भाषा की समृद्धि के लिए सभी से आसन्न जनगणना के दौरान भरे जाने वाले फार्म के भाषा कालम में अपनी मातृभाषा गढ़वाली, कुमाऊंनी व जौनसारी दर्ज करने की भी अपील की। कहा कि इससे लोकभाषाओं को संविधान की आठवीं अनुसूची में दर्ज कराने का मार्ग प्रशस्त होगा। इस दौरान नेगीदा ने आपने प्रसिद्ध गीत धरती हमरा गढ़वाला़ की कतगा रौंत्यालि़ स्वाणि चा भी सुनता, जिस पर सभी झूम उठे।

About Author