November 21, 2024

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गौरीकुंड में आए सैलाब में लापता हुआ इंजीनियर बेटा, तलाश में जगह-जगह भटक रहे पिता!!

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देहरादून: आइटीआइ रुड़की से इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त करने की मन्नत पूरी होने के बाद बाबा केदार के दर्शनों को गया राजस्थान का एक युवक गौरीकुंड में आए भूसख्लन के कारण लापता हो गया। लापता बेटे की तलाश में बीमार पिता लगातार पुलिस थानों, अधिकारियों के कार्यालयों के चक्कर लगा रहा है, लेकिन होनहार बेटे का अब भी कहीं पता नहीं लग पाया है। उन्हें उम्मीद है कि उनका बेटा कहीं न कहीं सही सलामत होगा, इसलिए वह लगातार पूजा अर्चना में भी जुटे हुए हैं।

देहरादून पहुंचे नंद नगर संदड़ा रोड ब्यावर शहर अजमेर राजस्थान निवासी अमरचंद सामरिया ने बताया कि उनका बेटा रुपिन पढ़ाई में काफी होशियार रहा, जिसके चलते उसे इंजीनियरिंग कालेज रुड़की में एडमिशन लिया। रुपिन की दिल से इच्छा थी कि जब भी उसे इंजीनियरिंग की डिग्री मिलेगी तो वह सबसे पहले केदारनाथ बाबा के चरणों में पूजा करके आएंगे। 27 जुलाई को आइआइटी रुड़की में कन्वोकेशन प्रोग्राम था, जिसमें रुपिन को डिग्री मिली। 28 जुलाई को वह अपने दोस्त घनेंद्र के साथ केदारनाथ दर्शनों को निकल पड़े। 30 जुलाई को उन्होंने बाबा केदारनाथ के दर्शन किए, और 31 जुलाई को सुबह आरती के बाद वह वापसी की ओर निकल पड़े। जंगल चट्टी के निकट अचानक भारी बारिश शुरू हुई और श्रद्धालु भागने लगे जिसके कारण रुपिन का मोबाइल फोन कहीं गुम गया।

किसी तरह से शाम को वह गौरीकुंड पहुंचे, जहां टैक्सी सर्विस बंद होने के कारण रुपिन व उसका दोस्त घनेंद्र गौरीकुंड में रुक गए। कुंड के निकट सीढ़ियों में पहुंचते ही अचानक ऊपर से सैलाब आया। घनेंद्र तेज बहाव में आगे निकल गया, लेकिन रुपिन वहीं पर खड़ा रहा। घनेंद्र किसी तरह भागने में सफल हो गया, लेकिन इसके बाद रुपिन का कहीं पता नहीं लग पाया। पिता अमरचंद बताते हैं कि उन्हें हार्ट की भी दिक्कत है, अब तक वह पांच बार राजस्थान से देहरादून आ चुके हैं, लेकिन बेटे के बारे में अब तक बेटे का कहीं पता नहीं लग पाया है।

जिस बैग में डिग्री थी, उसी को पकड़कर बैठा था रुपिन

सही सलामत लौटे रुपिन के दोस्त घनेंद्र ने बताया कि जिस समय सैलाब आया उस समय रुपिन बैग लेकर बैठा था। बैग में उसकी डिग्री व लेपटाप था। किसी भी कीमत पर वह डिग्री को नहींं छोड़ना चाह रहा था। घनेंद्र ने यह भी बताया कि जिस जगह पर रुपिर खड़ा था, वहां पर मलबा अब भी जस के तस पड़ा हुआ है। कई बार वहां पर मलबा हटाने की गुहार लगाई जा चुकी है, लेकिन मलबा नहीं हट पाया है।

रुपिन घर आ जा मैं तो घर आ गया हूं : घनेंद्र

दोस्त रुपिन के लापता होने से घनेंद्र भी सदमें हैं। बैंगलौर में साफ्टवेयर इंजीनियर की नौकरी कर रहे घनेंद्र ने भावुक अपील की है। उन्होंने कहा कि दोस्त रुपिन मैं तो सही सलामत घर आ गया हूं, जल्दी से तुम भी घर आ जाओ। रुपिन की तलाश में उसका पिता व दोस्त हरिद्वार, ऋषिकेश, रुद्रप्रयाग, सोनप्रयाग व गौरीकुंड पोस्टर लेकर घूम रहे हैं, लेकिन उनकी तलाश अब तक पूरी नहीं हो पाई है। बेटे को सुरक्षित पाने के लिए पिता धार्मिक स्थलों पर पूजा पाठ से लेकर गरीबों को दान भी कर चुके हैं।

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