देहरादून: संस्कृति विभाग की निदेशक बीना भट्ट ने एक सांस्कृतिक दल के अध्यक्ष पर एक फर्जी बिल पास न करने पर ब्लैकमेलिंग का आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज किया है। पुलिस को दी शिकायत में निदेशक बीना भट्ट ने बताया कि छह नवंबर को शारदा स्वर संगम अध्यक्ष नरेंद्र रौथाण निवासी शास्त्रीनगर ने एक फर्जी एवं झूठे तथ्यों पर आधारित भ्रामक वीडियो इंटरनेट मीडिया पर वायरल किया। वीडियो पूरी तरह से झूठे तथ्यों पर आधारित है और ऐसा ब्लैकमेलिंग की नीयत से किया गया है।
निदेशक बिना भट्ट की ओर से थाना डालनवाला को दी गई तहरीर के मुताबिक संस्कृति विभाग की ओर से सूचीबद्ध लोक सांस्कृतिक दलों को ही कार्यक्रम दिए जाने का प्राविधान है। विभाग की ओर से लोक सांस्कृतिक दलों को मंचीय प्रदर्शन के आधार पर विशेषज्ञ समिति के निर्णय के बाद सूचीबद्ध किया जाता है। आरोपित का सांस्कृतिक दल विभाग में सूचीबद्ध नहीं है और ना ही आरोपित ने अपने सांस्कृतिक दल को सूचीबद्ध किए जाने के लिए विभाग में आवेदन किया है। इस कारण आरोपित के सांस्कृतिक दल को कार्यक्रम आवंटित किया जाना संभव नहीं है। इस कारण नरेंद्र रौथाण उनसे रंजिश रखने लगा। इसी रंजिश के चलते झूठे व अनर्गल भ्रामक आरोप लगाने लगा।
निदेशक बिना भट्ट की तहरीर के मुताबिक नरेंद्र रौथाण ने बिना किसी सरकारी कार्यादेश के जिला पौड़ी गढ़वाल के विकास खंड बीरोंखाल में 14 अक्टूबर को आयोजित किसी कार्यक्रम के आठ लाख 37 हजार रुपये के बिल के भुगतान के लिए दबाव बनाया। जब बिल का भुगतान नहीं किया गया तो उसने धमकी दी कि यदि भुगतान नहीं किया तो वह वीडियो बनाकर उनकी छवि धूमिल कर देगा। आरोपित ने वीडियो में एक गलत टैक्सी बिल का भुगतान का आरोप भी लगाया और वीडियो वायरल कर दिया। उन्होंने कहा कि वाहन का इस्तेमाल विभाग में कार्यरत दिनेश उप्रेती व सुशील नौटियाल की ओर से किया गया।
निदेशक ने बताया कि आरोपित ने वीडियो में उनके ऊपर विभाग की टाइल्स का उपयोग अपने आवास पर किया जाना दिखाया गया है, जबकि उन्होंने विभाग में कोई टाइल्स खरीदी ही नहीं है। इंस्पेक्टर डालनवाला कोतवाली राजेश साह ने बताया कि आरोपित के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है और जांच जारी है। उधर, शारदा स्वर संगम दल के अध्यक्ष नरेंद्र रौथाण ने गुरुवार दोपहर को पत्रकार वार्ता करते हुए अपने आरोप दोहराए। उन्होंने संस्कृति विभाग की निदेशक बिना भट्ट पर भ्रष्टाचार में लिप्त होने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि विभाग में फर्जी टैक्सी बिलों के आधार पर सरकारी धन डकारा जा रहा है।
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