December 21, 2024

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फुटबॉल की चाह और पिता की राह ने दिलाया RIMC में दाखिला

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देहरादून: उत्तराखंड के दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र उत्तरकाशी में SDRF उत्तराखंड पुलिस की सी कंपनी के प्रभारी इंस्पेक्टर जगदंबा प्रसाद बिजल्वाण और उनके बेटे वैभव बिजल्वाण की कहानी मेहनत, प्रेरणा और समर्पण का एक अद्भुत उदाहरण है। पिता की राह पर चलते हुए वैभव का दाखिला राष्ट्रीय मिलिट्री एकेडमी (RIMC) में हुआ है।

12 नवंबर 2012 को देहरादून के विद्या विहार फेज-I में जन्मे वैभव को बचपन से ही फुटबॉल खेलने का जुनून था। उनका सपना था कि वह पुर्तगाल की किसी प्रसिद्ध फुटबॉल अकादमी में दाखिला लेकर एक पेशेवर खिलाड़ी बनें। जब उन्होंने अपने पिता से इस बारे में बात की, तो उनके पिता ने उनके सपने का सम्मान करते हुए उन्हें एक ऐसी सीख दी, जिसने उनकी जिंदगी बदल दी। पिता ने उन्हें समझाया कि केवल फुटबॉल में उत्कृष्टता हासिल करना ही काफी नहीं है, बल्कि पढ़ाई में भी श्रेष्ठ बनना उतना ही जरूरी है।

पिता की सीख और सही दिशा

एक दिन वैभव ने पुर्तगाल की फुटबॉल अकादमियों में दाखिला लेने की इच्छा जताई। पिता जगदंबा बिजल्वाण ने कहा, “अगर तुम्हें फुटबॉल के साथ-साथ पढ़ाई में भी अच्छा करना है, तो RIMC (राष्ट्रीय इंडियन मिलिट्री कॉलेज) ही तुम्हारे लिए सही जगह है। वहां पढ़ाई और खेल, दोनों में उत्कृष्टता का माहौल है। लेकिन, उत्तराखंड के लिए सिर्फ एक ही सीट होती है, और इसे पाने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी।”

कठिन तैयारी और फुटबॉल का जुनून

पिता की इस सीख ने वैभव को नई ऊर्जा दी। उन्होंने पूरी लगन और मेहनत से RIMC की परीक्षा की तैयारी शुरू की। खास बात यह थी कि उन्होंने तैयारी के दौरान कभी भी फुटबॉल से दूरी नहीं बनाई। वह पास के एक अकादमी में नियमित रूप से प्रैक्टिस करते थे। यहां तक कि परीक्षा के दिनों में भी वह सुबह फुटबॉल खेलते और फिर पूरे दिन पढ़ाई में जुट जाते। उनके इस संतुलन और समर्पण ने उन्हें एक बेहतर विद्यार्थी और खिलाड़ी बना दिया। वैभव की मेहनत रंग लाई। उन्होंने RIMC की लिखित परीक्षा में सफलता हासिल की। उनके साथ उत्तराखंड से एक और छात्र ने परीक्षा पास की थी। हालांकि, इंटरव्यू के दौरान वैभव ने अपने आत्मविश्वास और प्रदर्शन से खुद को साबित किया और RIMC की एकमात्र सीट पर चयनित हुए।

फुटबॉल और पढ़ाई का संतुलन

वैभव की यह सफलता केवल उनकी मेहनत का परिणाम नहीं थी, बल्कि उनके पिता के मार्गदर्शन और उस सीख का भी नतीजा थी, जिसने उन्हें सही दिशा दिखाई। वैभव ने यह साबित कर दिया कि पढ़ाई और खेल में संतुलन बनाकर उत्कृष्टता हासिल की जा सकती है।

परिवार और उत्तराखंड का गर्व

आज वैभव RIMC में दाखिला पाकर अपने सपने को साकार कर रहे हैं। उनकी सफलता से न केवल उनके माता-पिता बल्कि पूरा उत्तराखंड गौरवान्वित है।

सिलक्यारा रेस्क्यू ऑपरेशन में शामिल जगदम्बा बिजल्वाण और RIMC में दाखिला पाने वाले उनके बेटे की यह कहानी हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है, जो बड़े सपने देखता है और उन्हें पूरा करने के लिए मेहनत करता है।

बधाई संदेश

पुलिस महानिरीक्षक SDRF, श्रीमती रिधिम अग्रवाल एवं कमांडेंट श्री अर्पण यदुवंशी ने इंस्पेक्टर जगदंबा बिजल्वाण और उनके परिवार को वैभव की इस उपलब्धि पर हार्दिक बधाई और उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि यह सफलता न केवल परिवार के लिए गर्व की बात है, बल्कि यह SDRF के पूरे परिवार के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

प्रेरणादायक निष्कर्ष

यह कहानी हमें सिखाती है कि अगर जुनून को सही मार्गदर्शन मिले और मेहनत का साथ हो, तो कोई भी सपना साकार हो सकता है। वैभव की यह यात्रा न केवल उनके लिए, बल्कि पूरे उत्तराखंड के युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

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