September 16, 2025

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दून में नौ लाख महिलाएं, सिर्फ 400 पर किया सर्वे, संस्था के दावों पर उठने लगे सवाल

देहरादून: देहरादून में महिलाओं के असुरक्षित के दावे करने वाली गैर सरकारी संस्था नेशनल एनुअल रिपोर्ट इंडेक्स (नारी) के सर्वे पर सवाल उठने लगे हैं। संस्था के दावे को देहरादून के एसएसपी अजय सिंह ने न सिर्फ तथ्यों के साथ खारिज किया है बल्कि अब संस्था पर कानूनी शिकंजा कसने की तैयारी भी कर ली है। देहरादून पुलिस जल्द ही संस्था को कानूनी नोटिस जारी करने जा रही है। एसएसपी ने स्पष्ट किया कि देहरादून में महिलाएं पूरी तरह से सुरक्षित हैं।

बता दें कि संस्था ने देश के 31 शहरों में सर्वेक्षण किया गया है, जोकि कंप्यूटर अस्टिेड टेलीफोनिक इंटरव्यू व कंप्यूटर अस्टिेड पर्सनल इंटरव्यू पर आधारित है। जिन शहरों में यह सर्वे किया गया है वहां मात्र 12770 महिलाओं से टेलीफोनिक वार्ता के आधार पर उक्त रिपोर्ट तैयार की गई है। देहरादून में महिलाओं की लगभग नौ लाख की आबादी के सापेक्ष केवल 400 यानि 0.04 प्रतिशत महिलाओं के सैंपल साइज के आधार पर इलेक्ट्रानिकली कनेक्ट करके निष्कर्ष निकाला जाना प्रतीत हो रहा है। रिपोर्ट के अनुसार महज चार प्रतिशत महिलाओं ने एप अथवा तकनीकी सुविधाओं को उपयोग किया जा रहा है, जबकि महिला सुरक्षा के लिए बनाई गौरा शक्ति एप में महिलाओं के 1.25 लाख रजिस्ट्रेशन हो चुके हैं। जिसमें से 16649 रजिस्ट्रेशन मात्र देहरादून जनपद के ही हैं। इसके अलावा डायल 112, उत्तराखंड पुलिस एप, सीएम हेल्पलाइन, उत्तराखंड पुलिस वेबसाइट के सिटीजन पोर्टल का महिलाओं द्वारा नियमित रूप से प्रयोग किया जा रहा है।

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक देहरादून अजय सिंह ने बताया कि एक निजी सर्वे कंपनी/डेटा साइंस कंपनी ‘पी वेल्यू एनालिटिक्स’ की ओर से नारी-2025 शीर्षक के साथ एक सर्वे रिपोर्ट प्रकाशित की गई है, जिसमें देहरादून को देश के 10 असुरक्षित शहरों में शामिल किया गया है। राज्य महिला आयोग ने स्पष्ट किया है कि सर्वेक्षण न तो राष्ट्रीय महिला आयोग व राज्य महिला आयोग की ओर से और न ही किसी अन्य सरकारी सर्वेक्षण संस्थान की ओर से कराया गया है। राष्ट्रीय महिला आयोग ने भी इस संबंध में आयोग स्तर से किसी भी प्रकार का सर्वेक्षण कराए जाने का खंडन किया है। रिपोर्ट को निजी सर्वे कंपनी की ओर से स्वतंत्र रूप से तैयार किया जाना बताया गया है।

पुलिस पेट्रोलिंग में देहरादून कोहिमा से एक कदम ऊपर
एसएसपी ने कहा कि सर्वेक्षण के मानकों में पुलिस से संबंधित दो बिंदु हैं, इसमें पुलिस पैट्रोलिंग व क्राइम रेट। पुलिस पेट्राेलिंग में सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार सर्वाधिक सुरक्षित शहर कोहिमा का स्कोर 11 प्रतिशत है, जबकि देहरादून का स्कोर 33 प्रतिशत है। इससे यह स्पष्ट होता है कि देहरादून पुलिस पेट्रोलिंग के आधार पर सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार सर्वाधिक सुरक्षित शहर कोहिमा से भी ऊपर है। वहीं सार्वजनिक स्थलों में उत्पीड़न शीर्षक में पूरे देश का स्कोर सात प्रतिशत है, जबकि देहरादून का 6 प्रतिशत है। इससे स्पष्ट है कि देहरादून में सार्वजनिक स्थानों पर महिलाएं अन्य शहरों की तुलना में खुद को ज्यादा सुरक्षित महसूस करती हैं।

अगस्त माह में डायल 112 में छेड़खानी की केवल 11 शिकायतें
अगस्त माह में जनपद देहरादून में डायल 112 के माध्यम से कुल 12354 शिकायतें प्राप्त हुई हैं, जिनमें से मात्र 2287 (18 प्रतिशत) शिकायतें महिलाओं से संबंधित हैं। इन 2287 शिकायतों में से भी 1664 शिकायतें घरेलू झगड़ों से संबंधित हैं। शेष 623 शिकायतों में से भी मात्र 11 शिकायतें छेडखानी से संबंधित। स्पष्ट है कि महिला संबंधी कुल शिकायतों में से छेडछाड की शिकायतों का औसत एक प्रतिशत से भी कम है।

दून में बाहरी प्रदेशों के 70 हजार छात्र-छात्राएं अध्ययनरत
एसएसपी ने बताया कि वर्तमान में देहरादून में बाहरी प्रदेशों के लगभग 70 हजार छात्र व छात्राएं अध्ययनरत हैं, जिनमें से 43 प्रतिशत संख्या छात्राओं की है। छात्र-छात्राओं में काफी संख्या में विदेशी भी अध्ययनरत हैं। वहीं देहरादून शहर में स्मार्ट सिटी के एकीकृत कंट्रोल रूम के 536, पुलिस कंट्रोल रूम के 216 सीसीटीवी कैमरों के साथ लगभग 14000 सीसीटीवी कैमरे कार्यशील हैं, जिनकी सहायता से पुलिस द्वारा निरंतर अपराध एवं अपराधियों पर नजर रखी जा रही है। सभी कैमरों की गूगल मैपिंग की जा चुकी है। सर्वेक्षण में किन लोगों को शामिल किया गया यह स्पष्ट नहीं है। सर्वेक्षण में भाग लेने वालों की आयु, शिक्षा, रोजगार स्थिति के संबंध में स्पष्टता नहीं है। प्रतिभागी स्थानीय निवासी थे अथवा पर्यटक यह भी स्पष्ट नहीं है, क्योकि सुरक्षा की धारणा आयु तथा जीवनशैली के आधार पर भिन्न होती है। जहां किशोरियां एक ओर रात्रि में असुरक्षित महसूस कर सकती हैं, वहीं कामकाजी महिलाएं अलग अनुभव रख सकती हैं।


हम सर्वेक्षण के निष्कर्षों का सम्मान करते हैं, लेकिन नीतिगत निर्णयों के लिए यह आवश्यक है कि किसी भी सर्वे की पद्दति वैज्ञानिक एवं तथ्यात्मक हो, ताकि उसके निष्कर्ष सार्थक एवं विश्वसनीय बन सकें।

– अजय सिंह, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, देहरादून

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