देहरादून: आज के आधुनिक युग में युवा प्रेम संबंधों को लेकर उतने फिक्रमंद नजर नहीं आते। यही कारण है कि शहरी क्षेत्रों में लिव इन रिलेशनशिप (सहवासी संबंध) का चलन तेजी से बढ़ रहा है। एक दूसरे को अच्छे से जाने-समझे बिना बनने वाले इस संबंध की डोर न सिर्फ नाजुक होती है, बल्कि कई दफा इसके गंभीर परिणाम भी सामने आते हैं। क्योंकि तमाम लिव इन रिलेशनशिप माता-पिता या अभिभावकों की जानकारी में होते ही नहीं हैं। जिस कारण ऐसे संबंधों की डोर की मजबूती या भरोसे की परख भी अल्प उम्र के युवा नहीं कर पाते हैं। बीते कुछ समय में लिव इन पार्टनरों की हत्या जैसे संगीन प्रकरण भी सामने आए हैं। इस बात को ध्यान में रखते हुए उत्तराखंड सरकार ने न सिर्फ समान नागरिक संहिता (यूनिफॉर्म सिविल कोड) में लिव इन रिलेशनशिप का पंजीकरण अनिवार्य किया है, बल्कि ऐसे पार्टनर को कानूनी कवच भी प्रदान किया है।
विधानसभा में चर्चा के लिए रखे गए समान नागरिक संहिता के बिल में लिव इन रिलेशनशिप में स्पष्ट किया गया है कि यदि लिव इन में रह रहे किसी भी एक पार्टनर की उम्र 21 वर्ष से कम है और वह इस संबंध को तोड़ना चाहते हैं तो उसकी जानकारी पार्टनर के माता-पिता या अभिभावक को देनी होगी। इसकी जिम्मेदारी लिव इन रिलेशनशिप का पंजीकरण करने वाले निबंधक को दी गई है। साथ ही संबंध विच्छेद करने के आवेदन की जानकारी दूसरे पार्टनर को भी देनी होगी।
विधानसभा में चर्चा के लिए रखे गए समान नागरिक संहिता के बिल में लिव इन रिलेशनशिप में स्पष्ट किया गया है कि यदि लिव इन में रह रहे किसी भी एक पार्टनर की उम्र 21 वर्ष से कम है और वह इस संबंध को तोड़ना चाहते हैं तो उसकी जानकारी पार्टनर के माता-पिता या अभिभावक को देनी होगी। इसकी जिम्मेदारी लिव इन रिलेशनशिप का पंजीकरण करने वाले निबंधक को दी गई है। साथ ही संबंध विच्छेद करने के आवेदन की जानकारी दूसरे पार्टनर को भी देनी होगी।
आवेदन न करने पर सजा व जुर्माने का प्रावधान
जो लिव इन पार्टनर पंजीकरण नहीं कराएंगे, उन्हें दोषी ठहराए जाने की दशा में 03 माह तक की कारावास या 10 हजार रुपये का जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है। इसी तरह लिव इन पार्टनर के संबंध में गलत तथ्य प्रस्तुत करने की दशा में भी 03 माह की सजा या 25 हजार रुपये का जुर्माना या दोनों तरह दंडित किया जा सकता है। दूसरी तरफ पंजीकरण कराने के लिए जारी किए गए नोटिस के बाद भी आवेदन न किए जाने की स्थिति में सजा को कड़ा किया गया है। इस स्थिति में 06 माह तक की सजा या 25 हजार रुपये का जुर्माना या दोनों सजा के साथ दी जा सकती है।
कानूनी कवच: भरण पोषण का अधिकार, संतान भी जायज होगी
लिव इन रिलेशन के पंजीकरण की दशा में यदि किसी महिला/युवती को पुरुष पार्टनर अभित्यक्त (छोड़ना) कर देता है तो उस महिला पार्टनर को भरण-पोषण की मांग करने का अधिकार होगा। इसी तरह सहवासी युगल से पैदा होने वाला बच्चा दोनों की वैध संतान माना जाएगा।
इस दशा में पंजीकरण मान्य नहीं
-जहां कम से कम एक व्यक्ति विवाहित हो या पहले से ही लिव इन रिलेशनशिप में रह रहा हो।
-जहां कम से कम एक व्यक्ति अवयस्क हो।
-बलपूर्वक, उत्पीड़न के साथ या मिथ्या जानकारी की स्थिति में।
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