देहरादून: उत्तराखंड पुलिस के आठ वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों (IG&DIG) को एक साथ प्रतिनियुक्ति के आदेश के बाद अब इंपेनलमेंट का मामला भी सुर्खियों में छाने लगा है। कहा जा रहा है कि गृह विभाग ने अधिकारियों को डेपुटेशन पर भेजने के लिए जितनी तत्परता दिखाई उतनी ही तत्परता इंपेनलमेंट करवाने में दिखानी चाहिए।
उत्तराखंड पुलिस में कई पुलिस अधिकारी पुलिस महानिरीक्षक पद पदोन्नत किए गए हैं लेकिन शासन के गृह विभाग की ओर से समय पर औपचारिकताएं पूरी न कर पाने के कारण वर्ष 2005 व 2006 में उत्तराखंड से केवल दो पुलिस महानिरीक्षक (आइजी) ही केंद्र में इंपेनलमेंट हो पाए हैं। इस दौरान उत्तराखंड में जो आइपीएस अधिकारी आइजी बने वह केंद्र में डीआइजी पद पर तैनात हैं।
गृह मंत्रालय की कैबिनेट की नियुक्ति समिति (एसीसी) की ओर से वर्ष 2005 बैच के 43 पुलिस अधिकारियों को इंपेनलमेंट किया था जिसमें से उत्तराखंड से एकमात्र पुलिस अधिकारी रिधिम अग्रवाल को केंद्र के आइजी पद भी पदोन्नत किया। इसके बाद वर्ष दो जनवरी 2025 को हुई कमेटी की बैठक में 2006 बैच के 65 पुलिस अधिकारियों में से उत्तराखंड कैडर से सिर्फ एकमात्र पुलिस अधिकारी स्वीटी अग्रवाल इंपेनलमेंट हो पाई।
डेपुटेशन के लिए आवेदन भी नहीं किया और हो गई पोस्टिंग
उत्तराखंड पुलिस से एक साथ आठ अधिकारियों को डेपुटेशन पर भेजने के आदेश से अधिकारी भी हैरान है। यह पहली बार है जब इतनी बड़ी संख्या में आइजी व डीजाइजी स्तर के अधिकारियों को प्रतिनियुक्ति पर भेजा गया है। सूत्रों की मानें तो प्रतिनियुक्ति पर भेजने के लिए प्रक्रिया होती है, लेकिन नवंबर महीने में उत्तराखंड के गृह विभाग ने बिना किसी अधिकारी की सहमति लिए नाम भेज दिए। प्रतिनियुक्ति में भी कुछ को भेजा गया जबकि कुछ को छोड़ दिया गया। बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से उत्तराखंड के आठ आइपीएस अधिकारियों को आफर लिस्ट के सापेक्ष केंद्र ने डेपुटेशन पर बुलाया है। इनमें आइजी नीरू गर्ग, राजीव स्वरूप, मुख्तार मोहसिन, अरुण मोहन जोशी व डीआइजीजन्मेज्य खंडूडी, सेंथिल अबुदेई कृष्ण राज, बरिंदरजीत सिंह और पी रेणुका शामिल हैं।
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