July 3, 2025

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रजिस्ट्री फर्जीवाड़ा : एसआइटी के इस पत्र से कसेगा अफसरों का शिकंजा, मचा हड़कंप

देहरादून: रजिस्ट्री फर्जीवाड़े में 21 आरोपितों को जेल भेजे जाने के बाद अब पुलिस की कार्रवाई की जद में अधिकारी भी आ सकते हैं। फर्जीवाड़े की जांच के लिए गठित एसआइटी (स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम) की छानबीन में राजस्व और सब रजिस्ट्रार कार्यालय के अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई है। इसको लेकर एसआइटी प्रभारी (पुलिस अधीक्षक यातायात) सर्वेश पंवार ने जिलाधिकारी को पत्र भेजा है। ताकि रजिस्ट्री फर्जीवाड़े में अधिकारियों की संदिग्ध भूमिका की जांच कराई जा सके।

एसआइटी प्रभारी ने यह पत्र वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) के माध्यम से जिलाधिकारी को भेजा है। इसमें कहा गया है कि रिंग रोड से संबंधित 30 से अधिक रजिस्ट्रियों का अध्ययन किया गया है। साथ ही प्रकरण से जुड़े सभी व्यक्तियों से पूछताछ की गई। इस दौरान कई संदिग्ध व्यक्तियों के नाम प्रकाश में आए। साथ ही कई संदिग्ध बैंक अकाउंट की भी जांच की गई। इन खातों में करोड़ों रुपये का लेनदेन पाया गया है। जिसके क्रम में पाया गया कि आरोपित अधिवक्ता कमल विरमानी, कंवर पाल सिंह (अब मृत्यु हो चुकी), इमरान, रोहताश आदि ने रिंग रोड, लाडपुर, रैनापुर ग्रांट, नवादा, क्लेमेनटाउन, माजरा, राजपुर आदि में कई भूमि के कूटरचित (फर्जी) रजिस्ट्री तैयार की और उन्हें सब रजिस्ट्रार कार्यालय के रिकार्ड रूम में दाखिल करवा दिया।इसके बाद राजस्व अभिलेखागार के तत्कालीन अधिकारियों, कर्मचारियों की मिलीभगत से दाखिल खारिज तक करवा दिया। ये सभी आरोपित अभी जेल में बंद हैं।

जांच के दौरान यह भी पाया गया कि आरोपितों ने तत्कालीन एडीजीसी सुरेश चंद शर्मा और अपर तहसीलदार सदर महेश जगूड़ी एवं अन्य कार्मिकों के साथ मिलकर फर्जी व संदिग्ध पत्रावलियों में आदेश करवाए। इसी आधार पर राजस्व अभिलेखों में आरोपित संतोष अग्रवाल का नाम दाखिल खारिज आर-6 रजिस्टर में दर्ज करवा दिया। एसआइटी की रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि सब रजिस्ट्रार कार्यालय के तत्कालीन अधिकारियों की भी घोर लापरवाही पाई गई है। क्योंकि, फर्जी रजिस्ट्रियों की जो नकल असल के रूप में बाहर आई, उनमें जिम्मेदार अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध है। इस आधार पर राजस्व व सब रजिस्ट्रार कार्यालय के तत्कालीन अधिकारियों व कर्मचारियों की विभागीय जांच की जानी नितांत जरूरी है।

एसआइटी के पत्र पर ही एडीजीसी पर की गई कार्रवाई
एसआइटी के पत्र में एडीजीसी सुरेश चंद शर्मा के नाम का भी उल्लेख था। लिहाजा, इस दिशा में कार्रवाई करते हुए जिलाधिकारी सोनिका एडीजीसी सुरेश चंद को हटा दिया है। अब बताया जा रहा है कि प्रकरण में संदिग्ध भूमिका वाले अधिकारियों की विभागीय जांच कराए जाने की प्रक्रिया भी शुरू की जा चुकी है।

रजिस्ट्री फर्जीवाड़े में एक और गिरफ्तार

रजिस्ट्री फर्जीवाड़े के मामले में एसआइटी ने एक और आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी ने रजिस्ट्री फर्जीवाड़े के मास्टरमाइंड केपी सिंह (मृतक) और अधिवक्ता कमल विरमानी के साथ माजरा स्थित 10 बीघा जमीन की फर्जी पावर आफ अटार्नी बनाकर उसकी रजिस्ट्री कर दी। एसएसपी अजय सिंह ने बताया कि शीतल मंड निवासी रामनिवास माजरा ने पटेलनगर कोतवाली में भूमि धोखाधड़ी से संबंधित लिखित तहरीर दी थी। शिकायतकर्ता ने बताया कि आरोपी केपी सिंह ने अपने अन्य साथियों के साथ मिलकर माजरा स्थित उनकी 10 बीघा जमीन की फर्जी पावर आफ अटार्नी बनाकर उसकी रजिस्ट्री सुखविंदर सिंह निवासी नानकमत्ता के नाम पर कर दी। इसके बाद सुखविंदर सिंह ने जमीन को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर केपी सिंह के पिता बलवीर सिंह की कंपनी को गिफ्ट डीड की। 

पुलिस की ओर से गिरफ्तार आरोपी सुखविंदर सिंह

इस मामले में पटेलनगर कोतवाली में केपी सिंह सहित अन्य खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया। विवेचना के दौरान पुलिस टीम ने पूर्व में दो आरोपी समीर कामयाब व रवि कोहली को गिरफ्तार किया था। पूछताछ के आधार पर एसआइटी के एसआइ कुलदीप पंत ने जमीन की फर्जी रजिस्ट्री अपने नाम पर करने तथा जमीन को फर्जी तरीके से अपने गिफ्ट डीड करने वाले सुखविंदर सिंह निवासी नवदिया थाना नानकमत्ता, ऊधम सिंह नगर को मंगलवार को नानकमत्ता ऊधमसिंह नगर से गिरफ्तार किया।

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