September 16, 2024

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खबर का असर : उत्तराखंड में स्थाई निवास प्रमाण पत्र की जरूरत नहीं, मूल निवास प्रमाण पत्र ही होंगे मान्य, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उठाया सख्त कदम

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देहरादून: मूल निवास की जगह स्थायी निवास पर मुख्यमंत्री ने बुधवार को फुलस्टाप लगा दिया है। राज्य गठन के 23 साल बाद जाकर उत्तराखंड के मूल निवासियों को फिर पहचान मिली है। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने मूल निवास प्रमाण पत्र को न मानने वालों के सख्त कदम उठाते हुए नई व्यवस्था जारी कर दी है। अब ऐसे मूल निवासी, जिनके मूल निवास प्रमाण पत्र बने हुए हैं, उन्हें स्थाई निवास प्रमाण पत्र बनाने की कोई जरूरत नहीं होगी।

इस फैसले के तहत सचिव विनोद कुमार सुमन ने बुधवार को स्पष्ट आदेश जारी कर दिए हैं। इस आदेश के तहत अब मूल निवास प्रमाण पत्र धारक से कोई भी विभाग स्थाई निवास प्रमाण पत्र की मांग नहीं करेगा। सरकारी नौकरियों, सरकार की योजनाओं में मूल निवास प्रमाण पत्र ही मान्य होंगे। सरकारी विभागों में मूल निवास प्रमाण पत्र की इस अनदेखी का स्वयं सीएम पुष्कर सिंह धामी ने संज्ञान लिया था। सीएम की सख्ती के बाद ही तत्काल सचिव सामान्य प्रशासन की ओर से आदेश जारी कर दिए गए हैं।

सीएम के इस फैसले ने मूल निवासियों को वो पहचान दे दी है, जिसके लिए वे 23 साल से इंतजार कर रहे थे। नवंबर 2001 को एक आदेश ने राज्य में मूल निवास प्रमाण पत्र बनाने बंद कर दिए थे। बाद के वर्षों में विभागों ने मूल निवास प्रमाण पत्र की अनदेखी शुरू कर दी थी। नौकरियों, सरकारी योजनाओं में पात्रता में मूल निवास प्रमाण पत्र का प्रावधान ही नहीं किया जाता था। सिर्फ स्थाई निवास प्रमाण पत्र का जिक्र किया जाता था।

इसी आधार पर अफसर मूल निवास प्रमाण पत्र के स्थान स्थाई निवास प्रमाण पत्र की मांग करते रहे। इन तमाम किंतु परंतु पर बुधवार को सीएम पुष्कर सिंह धामी ने पूरी तरह विराम लगा दिया। ऐसा कर सरकार ने मूल निवासियों की पहचान बचाए रखने को मास्टर स्ट्रोक चल दिया है। राज्य के मूल निवासियों को उनकी पहचान सुनिश्चित करा दी है।

मूल निवास स्वाभिमान संस्था ने दी थी आंदोलन की चेतावनी

उत्तराखंड में मूल निवास व्यवस्था खत्म करने के विरोध में मूल निवास स्वाभिमान संस्था की ओर से 24 दिसंबर को परेड ग्राउंड से एक महारैली आयोजित करने की चेतावनी दी गई थी। वाकायदा गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी ने भी उत्तराखंडवासियों से अपील की कि इस स्वाभिमान में अपना सहयोग जरूर दें। आंदोलन को देखते हुए कहीं न कहीं सरकार बैकफुट पर नजर आई और स्थायी निवास की व्यवस्था खत्म कर दी। संस्था की ओर से महारैली की जाएगी या नहीं अभी तक इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।

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