July 2, 2025

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उत्तराखंड के पूर्व डीजीपी सिद्धू की बढ़ी मुश्किलें, 13 साल से फरार फर्जी नत्थूराम मेरठ से मिला, यह है पूरा मामला

देहरादून: पूर्व डीजीपी बीएस सिद्धू की तरफ से वीरगिरवाली स्थित जमीन खरीदने के लिए फर्जीवाड़े से मालिक बनाए गए नत्थूराम को एसआईटी ने 13 साल बाद ढूंढ निकाला। आरोपी को मेरठ के रोहटा रसूलपुर गांव से गिरफ्तार किया गया है। इसकी पुष्टि पुलिस उपमहानिरीक्षक अपराध एवं कानून व्यवस्था पी रेणुका देवी ने की है।

पूर्व डीजीपी बीएस सिद्धू ने 20 नवंबर 2012 को ओल्ड मसूरी रोड पर वीरगिरवाली स्थित आरक्षित वन क्षेत्र की ंलगभग नौ बीघा जमीन को अपने नाम करा लिया था। वहां खड़े साल प्रजाति के 25 पेड़ भी कटवा दिए गए। इस फर्जीवाड़े में 13 साल लंबी जांच के बाद हाल में एसआईटी ने कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की है। जिसमें दस लोगों को आरोपी बनाया गया है। इनमें पांच के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट भेजी गई है।

चार्जशीट के अनुसार पूर्व डीजीपी ने मेरठ के गैंग संग मिलकर नत्थूराम नाम का व्यक्ति ढूंढ़ा। यह मेरठ के रोहटा रसूलपुर गांव में मिला। इस नत्थूराम के पिता का नाम मंगलू था। जबकि, वीरगिरवाली में जो जमीन सिद्धू ने फर्जी ढंग से खरीदी थी उसमें नत्थूराम के पिता का महकूमल था। इसलिए रोहटा के तत्कालीन ग्राम प्रधान चमन सिंह की रिपोर्ट पर इस नत्थूराम के पिता का नाम महकूमल दर्ज कराते हुए फर्जी दस्तावेज बनाए गए। इस नत्थूराम को रजिस्ट्री कार्यालय में जमीन मालिक दिखाते हुए सिद्धू ने जमीन की रजिस्ट्री अपने नाम करा ली।

इस बीच रहमुद्दीन और हाजी रिजवान नाम के व्यक्ति सामने आए। इन्होंने जमीन की पॉवर आफ अटार्नी अपने नाम होने का दावा किया। तब सिद्धू गैंग की तरफ से नत्थूराम बनाए गए व्यक्ति की तरफ से इनके खिलाफ शहर कोतवाली में पांच जुलाई 2012 को मुकदमा दर्ज करा दिया गया। मामले की जांच शुरू हुई और डीजीपी सिद्धू रिटायर हो गए। इसके जमीन खरीदने में हुए खेल की परतें खुलनी शुरू हुईं। तब मामला ठंडे बस्ते में चले गया।

शासन ने पिछले साल अप्रैल में मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित की। एसआईटी का पर्यवेक्षण डीआईजी पी रेणुका देवी, विवेचक वर्तमान में एसपी चमोली सर्वेश पंवार को बनाया गया। एसआईटी ने जांच शुरू की 2013 से लापता इस नत्थूराम का कुछ पता नहीं लग पा रहा था। जबकि, वह फर्जीवाड़े में अपने दर्ज कराए केस में आरोपी बन गया था।

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