October 18, 2024

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साइबर ठगी में दिल्ली से गिरफ्तार हुए तीन ठग, पाकिस्तान, चीन व दुबई से निकला कनेक्शन!

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देहरादून: उत्तराखंड पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स ने दून के युवक से 23 लाख रुपये की साइबर ठगी करने वाले साइबर ठगी के एक गिरोह का पर्दाफाश किया है। पूछताछ में उनके लिंक पाकिस्तान, दुबई व चीन तक निकले हैं। ठग विदेशों में बैठे अपने आकाओं से वाट्सएप के माध्यम से बात करते थे और क्रिप्टो करेंसी के माध्यम से रुपये ट्रांसफर करते थे। एसटीएफ ने साइबर ठगों से छह मोबाइल फोन, 16 सिमकार्ड, 42 बैंक पासबुक व चेकबुक, डेबिट कार्ड बरामद किए हैं।

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एसटीएफ आयुष अग्रवाल ने बताया कि देहरादून के मोहब्बेवाला निवासी नितिन डबराल ने बताया कि वह विदेश में नौकरी करता है। कुछ समय के लिए वह देहरादून आया था। इसी दौरान उन्होंने naukri.com पर नौकरी ढूंढी। इसके बाद अज्ञात व्यक्ति ने उन्हें वाट्सएप पर फोन कर बताया कि उन्हें naukri.com से आपका बायोडाटा मिला है। नौकरी लगने से पहले आपको रजिस्ट्रेशन चार्ज 14,800 रुपये देना होगा। पीड़ित की ओर से धनराशि भुगतान करने के बाद उन्हें इंटरव्यू के लिए स्काइप से फोन आया और करीब एक घंटे इंटरव्यू लिया गया।

शिकायतकर्ता ने बताया कि 22 नवंबर 2023 को फाइनल राउंड के लिए इंटरव्यू लेने के बाद सलेक्शन हो जाने की बात कहकर दस्तावेज वैरिफिकेशन, जाब सिक्यिोरिटी, फास्ट ट्रैक वीजा तथा आइलेट्स परीक्षा आदि के नाम पर क्विक सोल्यूशन खाते में 23 लाख रुपये जमा जमा करवा दिए। इसके बाद पीड़ित को बताया गया कि उन्होंने आइलेट्स परीक्षा के लिए रजिस्ट्रेशन नहीं किया गया, जिस कारण वीजा रद्द किया जा रहा है। आरोपितों ने पीड़ित की धनराशि तीन महीने में वापस करने की बात कही, लेकिन दोबारा उन्होंने फोन नहीं उठाया। इस मामले में जून 2024 को साइबर थाने में अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया।

मुकदमे की विवेचना कर रहे निरीक्षक विकास भारद्वाज ने घटना में इस्तेमाल बैंक खातों, मोबाइल नंबर तथा वाट्सएप की जानकारी जुटाने के लिए बैंक, सर्विस प्रदाता कंपनी तथा मेटा व गूगल से पत्राचार कर डेटा प्राप्त किया। पुलिस टीम ने तकनीकी व डिजिटल साक्ष्य एकत्र कर घटना के मास्टर माइंड व मुख्य आरोपितों को चिह्नित करते हुए तलाश शुरू की। रविवार शाम को टीम ने आरोपित अलमास आजम व अनस आजम दोनों निवासी अशरफाबाग जाजमऊ नियर शिवांश टेनरी थाना चकैरी कानपुर उत्तर प्रदेश और सचिन अग्रवाल निवासी कृष्णा पार्क विकासपुरी दिल्ली को जनकपुरी वेस्ट दिल्ली, मैट्रो स्टेशन से गिरफ्तार कर लिया।

ऐसे देते हैं ठगी की घटना को अंजाम

एसएसपी ने बताया कि आरोपित फर्जी आईडी, मोबाइल नंबर, वाट्सएप, टेलीग्राम और जानी-मानी कंपनियों से मिलते-जुलते ईमेल पते का उपयोग करके नौकरी चाहने वालों से संपर्क करते हैं। इसके बाद नौकरी चाहने वालों का पूरा विश्वास जीतकर उन्हें दस्तावेज़ सत्यापन, रजिस्ट्रेशन, जाब सिक्योरिटी, फास्ट-ट्रैक वीजा आदि के नाम पर विदेश में नौकरी दिलाने का झांसा देकर धोखाधड़ी करते हैं। साइबर ठग पीड़ितों से ठगी की गई धनराशि को कई खातों में ट्रांसफर कर देते हैं। इसके लिए वह भोले भाले लोगों के दस्तावेज लेकर बैंक खाते खुलवाते हैं और उनके खातों में धनराशि ट्रांसफर कर तत्काल निकाल लेते हैं। इन खातों के दस्तावेज और एसएमएस अलर्ट नंबरों को दुबई भेज दिया जाता है।

वाट्सएप व चेटिंग से करते थे पाकिस्तान, चीन व दुबई बात

पूछताछ में आरोपितों ने स्वीकार किया है कि उनका कनेक्शन पाकिस्तान, दुबई व चीन से जुड़े हैं। उनके मोबाइल फोन में भी वाट्सएप व टेलीग्राम के माध्यम से चेटिंग होनी पाई गई है, जिसमें आपस में बैंक खातों की यूपीआई आइडी, खातों की डिटेल, क्यूआर कोड, स्केनर आदि का आदान प्रदान किया गया है। इसके अलावा यूएसडीटी क्रिप्टो करेंसी में एक दूसरे से खातों में भारतीय रुपया का ट्रांजेक्शन संबंधी चैट्स पाई गई है। ठगों के विरुद्ध गुजरात, दिल्ली, हरियाणा, कनार्टका व यूपी में ठगी की शिकायतें दर्ज हैं।

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